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शैंपू यूज कर रहे हैं तो ठहरिए, ये 5 केमिकल्स बढ़ा सकते हैं कैंसर का खतरा
काले घने और शाइनिंग बाल (Shining Hair) किसे अच्छे नहीं लगते। हर कोई चाहता है कि उसके बाल सुंदर हों और सभी उसकी तरफ आकर्षित हो जाएं। इसके बाजार में मिलने वाले विभिन्न केमिकल (various chemicals) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें से शैंपू एक है। आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े तक शैंपू (Shampoo) का प्रयोग कर रहा है। मगर आपको पता है कि यह शैंपू आपकी सेहत के लिए घातक भी हो सकता है। नहीं पता है तो आज में हम आपको बता रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स दावा कि शैंपू में कुछ खास किस्म के केमिकल पाए जाते हैं और ये कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। आज हम आपको शैंपू में प्रयोग किए जाने वाले पांच हानिकारक केमिकल्स के बारे में बताते हैं। ये केमिकल्स कैंसर जैसी घातक बीमारी को आमंत्रण देते हैं। इनमें से पहला पैराबीन है। शैंपू बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट में पैराबीन नामक केमिकल का प्रयोग करती हैं। यह केमिकल बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है।
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वहीं पैराबीन को एस्ट्रोजन हार्मोन के फंक्शन की नकल करने के लिए भी जाना जाता है। यह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) का खतरा बढ़ा देता है। इसी के साथ शैंपू बनाने वाली कंपनियां सिलेनियम सल्फाइड का इस्तेमाल करती हैं। इसमें कैंसर पैदा करने वाला कंपाउंड कार्सिजोन पाया जाता है। इस संबंध में चूहों पर एक रिसर्च की गई है। इसमें सामने आया है कि सेलेनियम सल्फाइड के कारण ट्यूमर कैंसर की संभावना हो सकती है। इसलिए अपना एंटी.डैंड्रफ शैम्पू खरीदने से पहले उस पर लिखी डिटेल को अच्छी तरह पढ़ें और तभी शैम्पू खरीदें। वहीं हेयर-केयर प्रॉडक्ट्स में क्वाटेररिनयम-15 (Quaternium-15) नाम का केमिकल कंपाउंड भी प्रयोग होता है। यह एक प्रकार का अमोनियम साल्ट है। इसे कार्सिजेनिक कहा जाता है। क्वार्टर नियम.15 के इस्तेमाल से आपकी आंखों पर भी बुरा असर डालता है। वहीं वर्ष 2016 में कई कंट्रीज ने एंटी बैक्टीरियल साबुन में इस्तेमाल होने वाले ट्राइक्लोसन को बंद कर दिया। इसका प्रयोग साबुन और शैंपू सहित टूथपेस्ट और दुर्गंध करने वाले डियोड्रेंट में किया जाता है। यह केमिकल हमारे हार्मोन को डिस्टर्ब कर कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। वहीं स्किन और बालों के लिए इस्तेमाल होने वाले खुशबूदार प्रोडक्ट्स में दर्जनों प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसे केमिकल कम्पाउंड हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम को डिस्टर्ब कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसके अत्यधिक उपयोग से हम कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियों का भी शिकार हो सकते हैं।