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देखें वीडियोः पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी की चेतावनी, टिकट बदला तो जब्त होगी कांग्रेस की जमानत
मंडी। इन दिनों पूर्व मंत्री एवं मंडी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रकाश चौधरी का एक वीडियो खूब छाया हुआ है। वीडियो में प्रकाश चौधरी अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सरेआम चेतावनी देते हुए दिखाई और सुनाई दे रहे हैं। यह वीडियो बीते रविवार का है जब मंडी शहर के साथ लगते भड़याल में जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर और कांग्रेस की प्रदेश चुनाव प्रभारी व पूर्व सांसद दीपा दास मुंशी विशेष रूप से शामिल होने यहां आए हुए थे। जब प्रकाश चौधरी के संबोधन की बारी आई तो उन्होंने बल्ह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के चाहवानों को खरी खोटी सुनाने के साथ-साथ पार्टी हाईकमान को भी चेतावनी दे डाली। प्रकाश चौधरी ने कहा कि वर्ष 1998 में जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी से बाहर होकर चुनाव लड़ा था तो बल्ह से कांग्रेस के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। उस वक्त उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम द्वारा बनाई हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता था। चौधरी कह रहे हैं कि उनके साथ बल्ह का जनाधार है और इस बार भी टिकट के चाहवान क्षेत्र में तरह-तरह की भ्रांतियां फैला रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि टिकट देना पार्टी हाईकमान का ही विशेषाधिकार है।
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चुनाव से काफी पहले ही टिकटों को लेकर मच गया है घमासान
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव अभी अक्तूबर महीने में होना प्रस्तावित हैं। लेकिन उससे काफी पहले ही मंडी जिला में कांग्रेस पार्टी के टिकटों को लेकर घमासान मच गया है। यहां सांसद प्रतिभा सिंह ने सराज और सदर से अपने दो करीबियों के नाम पहले ही प्रस्तावित कर दिए हैं। वहीं बल्ह से भी कांग्रेस के एक अन्य धड़े ने अपने करीबी का नाम सुर्खियों में ला दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस में अब नेता टिकटों को लेकर एक-दूसरे पर जमकर बयानबाजी कर रहे हैं।
अनिल शर्मा की वापसी के भी मिल रहे संकेत
वर्तमान में मंडी सदर से बीजेपी के विधायक अनिल शर्मा के भी कांग्रेस में वापसी के संकेत मिल रहे हैं। बीते रविवार को भड़याल में कांग्रेस की जो बैठक हुई उसमें पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर और चुनाव प्रभारी दीपा दास मुंशी ने पंडित सुखराम परिवार की जमकर तारीफ की। संचार क्रांति के मसीहा का जिक्र करते हुए इन्होंने सुखराम परिवार के विरोधियों को सकते में डाल दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सुखराम परिवार को फिर से पार्टी में लाना चाह रहा है लेकिन विरोधी धड़े इसके खिलाफ हैं।