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हिमाचल: MC शिमला को हाईकोर्ट के आदेश, नियमों के अनुसार लें निर्णय
Last Updated on August 24, 2022 by sintu kumar
शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने एनजीटी (NGT) के आदेशों का बार-बार हवाला देकर नक्शा स्वीकृत ना करने पर नगर निगम शिमला को आदेश दिए कि वे प्रार्थियों के आवेदन पर फिर से विचार करें। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि नगर निगम सहित राज्य सरकार ने कानून के अनुसार नक्शे पास करने की बजाए ढाई मंजिला वाले एनजीटी के आदेशों के कारण खुद में एक प्रकार का भय मनोविकार पैदा कर लिया है। इसी कारण सरकार व नगर निगम भवन उप नियमों को संशोधित करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
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कोर्ट ने प्रार्थियों के आवेदन पर एनजीटी के आदेशों से पहले के नियमों के अनुसार निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने 3 अगस्त, 2017 को होटल का नक्शा नगर निगम के पास स्वीकृति के लिए जमा करवाया। उन्होंने आवेदन के साथ लगभग 5 लाख रुपए की फीस भी जमा करवा दी। नक्शे के मुताबिक, दो भवन चार मंजिल जमा पार्किंग के व चार कॉटेज दो मंजिल जमा पार्किंग के थे। इससे पहले की प्रार्थियों के नक्शे स्वीकृत हो पाते, एनजीटी ने 16 नवंबर, 2017 को एक सामान्य दिशा निर्देश जारी कर भवन निर्माणों पर ढाई मंजिलों की शर्त लगा दी।
25 नवंबर, 2017 को एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए नगर निगम ने नक्शा प्रार्थियों को वापिस कर दिया। 14 दिसंबर को सरकार के विधि विभाग ने एनजीटी के आदेशों की जांच पड़ताल की और कहा कि एनजीटी के आदेश उन मामलों में लागू नहीं होते जिनके नक्शे अनुमोदन, संशोधन अथवा स्वीकृति के लिए 16 नवंबर, 2017 से पहले पेश किए जा चुके थे, लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर कोड ऑफ कंडक्ट (Code of Conduct) लगने के कारण उन पर विचार नहीं किया जा सका।
सरकार के इस स्पष्टीकरण को देखते हुए प्रार्थियों ने फिर से 17 फरवरी, 2018 को नक्शा स्वीकृति के लिए जमा करवा दिया। सरकार सहित निगम व टीसीपी के विभिन्न विभागों के धक्के खाकर आखिरकार मामला हाउस प्लान अप्रूवल कमेटी की 45वीं बैठक के समक्ष रखा गया। अबकी बार फिर से नक्शे वापिस करते हुए कारण बताया गया कि प्रार्थियों ने 3 अगस्त, 2017 को नक्शे जमा करवाए थे जो कुछ त्रुटियों के कारण एनजीटी के 16 नवंबर, 2017 के
आदेशों से पहले संशोधित नहीं किए जा सके। इसलिए एनजीटी के आदेशानुसार ढाई मंजिल वाले नक्शे ना होने के कारण उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया।
इसके बाद जगह-जगह के धक्के खाने और सीएम जयराम ठाकुर तक के पास गुहार लगाने के बाद प्रार्थियों ने एक बार फिर से 17 अप्रैल, 2019 को त्रुटियां दूर कर नक्शे निगम के पास जमा करवाये। अनेकों बहानों से मामला लटकता गया और अंततः 4 दिसंबर, 2020 को सरकार ने एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए नक्शे को स्वीकृति देने से मना कर दिया और प्रार्थियों को सुझाव दिया कि वह एनजीटी के आदेशानुसार तय मापदंडों के भीतर नक्शा स्वीकृति के लिए जमा करवा सकते हैं। सरकार व निगम की इस कार्रवाई से व्यथित होकर प्रार्थियों ने हाईकोर्ट के समक्ष न्याय के लिए गुहार लगाई।
कोर्ट ने प्रार्थियों की याचिका को मंजूर करते हुए आश्चर्य प्रकट किया कि प्रार्थियों के मामले में ही कैसे एनजीटी के आदेश लगाए जा सकते हैं। जबकि रिकॉर्ड में सामने आया है कि निगम ने ऐसे अनेकों मामलों में स्वीकृति प्रदान की है, जिनमें एनजीटी के आदेशों से पहले कुछ त्रुटियां और कमियां रह गई थी। सरकार ने भी बिना किसी बात के प्रार्थियों के आवेदन को अस्वीकृत किया।