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हिमाचल हाईकोर्ट: दागी अधिकारियों की जानकारी कोर्ट में रखने के मामले की सुनवाई टली
Last Updated on October 11, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार को दागी अधिकारियों के संबंध में तमाम जानकारी कोर्ट के समक्ष रखने से जुड़े मामले पर सुनवाई 3 सप्ताह के लिए टल (Hearing Postponed) गई। कोर्ट ने जनहित याचिका में दागी अधिकारियों को संवेदनशील पदों पर तैनात न करने आदेश पारित किए थे और सभी दागी अधिकारियों के खिलाफ समयबद्ध ढंग से विभागीय कार्यवाही कर जानकारी कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने सरकार को यह जानकारी 3 सप्ताह के भीतर कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए। इस आदेश को पारित करते हुए मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को 3 सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया। अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर पारित किए, जिसमें कोर्ट ने सरकार में संवेदनशील पदों पर काम कर रहे दागी अधिकारियों के मुद्दे पर संज्ञान लिया है।
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अदालत ने अपने पिछले आदेशों में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह सभी दागी छवि वाले अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्यवाही की स्थिति का खुलासा करते हुए शपथपत्र दाखिल करें। अदालत ने उन्हें एक सारणीबद्ध रूप में एक चार्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा किया गया हो। उसमें दागियों की वर्तमान स्थिति और उनके खिलाफ कार्यवाही के चरण के साथ-साथ उस पर अंतिम कार्रवाई का हवाला दिया जाना जरूरी था। कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि सरकार शपथपत्र के माध्यम से बताए कि क्या ऐसे दागी छवि वाले अधिकारी (Tainted Officers) किसी संवेदनशील पद पर हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में इस जनहित याचिका में प्रार्थी बलदेव शर्मा द्वारा अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष दी गयी सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त, योजना, कार्मिक, पर्यावरण) प्रबोध सक्सेना जो एच.पी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी है, का नाम जानबूझकर छुपाया। आवेदन में यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने भारत सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी करने के बाद सितंबर, 2019 में उक्त अधिकारी प्रबोध सक्सेना और अन्य के खिलाफ विशेष न्यायाधीश सीबीआई, नई दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें संज्ञान लेने के बाद सीबीआई कोर्ट द्वारा प्रबोध सक्सेना को चार्जशीट समन जारी किया गया था और वर्तमान में वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आई एन एक्स मीडिया मामले में फरवरी, 2020 से जमानत पर हैं। आवेदन में आगे आरोप लगाया गया कि इस तथ्य की जानकारी के बावजूद मुख्य सचिव ने जानबूझकर उक्त अधिकारी का नाम दागी छवि वाले अधिकारियों की सूची से छुपाया।
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