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हाईकोर्ट के आदेश- NH सहित सभी सड़कों से हटाए जाएं अवैध कब्जे
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य के सभी नेशनल हाईवे (National Highway) से अवैध कब्जों (Illegal Encroachment) को हटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह तीन महीने के भीतर राज्य के सभी नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों से अवैध कब्जों को हटाएं। अदालत (Court) ने अपने आदेशों में कहा कि अवैध कब्ज़ाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थाई निर्माणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दयाभाव के आधार पर नहीं बक्शा जा सकता। खंडपीठ ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए राज्य के मुख्य सचिव को सुनिश्चित किया है।
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ठियोग क्षेत्र स्थित नरेल नामक स्थान के निवासी हरनाम सिंह उर्फ़ रिंकू चंदेल द्वारा याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने उक्त आदेश पारित किए। प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाईं थी कि उसके द्वारा सड़क के किनारे बनाए गए ढाबे को ना गिराया जाए। मामले में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी ने नेशनल हाईवे पर एक ढाबे का अवैध रूप से निर्माण किया है, जिससे वह अपने परिवार का पेट पालता है, लेकिन लोक निर्माण विभाग (PWD) ने उसे नोटिस जारी कर ढाबे को हटाने का आदेश दिया। इस आदेश हो प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। दलील दी गई कि प्रार्थी अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए ढाबे को चलाता है। इस ढाबे के निर्माण करने से ना को ट्रैफिक (Traffic) रुकता है और ना ही किसी अन्य को कोई परेशानी है। यही नहीं दलील दी गई कि नेशनल हाईवे पर अवैध निर्माण करना वाला पार्थी अकेला नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में लोगों ने सड़क के किनारे अवैध निर्माण किया है और अपनी आजीविका कमा रहे हैं। इसलिए उसके द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटाने बारे दिए गए आदेशों को रद्द किया जाए।
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अदालत ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि अवैध कब्जाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थाई निर्माणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दयाभाव के आधार पर नहीं बक्शा जा सकता है।
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