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NIOS के फर्जी सर्टिफिकेट्स की धीमी जांच से हाईकोर्ट नाराज
Last Updated on June 16, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के फर्जी प्रमाणपत्रों को लेकर की जा रही धीमी जांच पर अपनी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने जांच अधिकारी को 2 सप्ताह के भीतर यह करवाई करने के आदेश दिए और अगली प्रगति रिपोर्ट 6 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की बेंच ने इस मामले में पुलिस स्टेशन ऑट जिला मंडी में दर्ज प्राथमिकी की जांच रिपोर्ट को देखा। जांच अधिकारी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस मामले में संदिग्ध मुख्य आरोपी सुनील कुमार को शीघ्र ही गिरफ्तार करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। फर्जी प्रमाणपत्र (Fake Certificates) के आधार पर नौकरी पाने की शिकायत से जुड़े मामले में NIOS के निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फर्जी बताया था। इसके पश्चात कोर्ट ने NIOS के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो वे दोषी के खिलाफ क्या कार्यवही करते हैं।
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जाली डिग्रियों का अवैध कारोबार जारी
कोर्ट ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है। इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में उनके 36 आउटलेट हैं, जहां पर्सनल कॉन्टैक्ट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। कोर्ट मित्र ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में जाली शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का अवैध कारोबार चल रहा है। नौकरी के साथ साथ पदोन्नति पाने के लिए विभागों में दिए प्रमाणपत्रों की गहराई से जांच होनी चाहिए। विशेषतौर से बाहरी राज्यों के शैक्षणिक संस्थानों के प्रमाणपत्रों की जांच होना जरूरी है, जो कर्मचारियों द्वारा नौकरी पाने अथवा पदोन्नति के लिए पेश किए जाते हैं। ये फर्जी सर्टिफिकेट अधिकतर दूरवर्ती शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों से जुड़े होते हैं।