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कुल्लू। हिमाचल के कुल्लू (Kullu) जिला में ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में गुरुवार को बसंत पंचमी (Basant Panchami) के अवसर पर भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा (Rath Yatra) निकाली गई। इस रथ यात्रा के साथ ही परंपरागत होली उत्सव का भी आगाज हो गया। भगवान रघुनाथ के रथ को मैदान से लेकर भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर तक रस्सियों से खींच कर पहुंचाया। इस दौरान पूरी घाटी जय सियाराम की ध्वनि से गूंज उठी। भगवान रघुनाथ की इस रथ यात्रा के साथ ही कुल्लू घाटी का अनूठा होली उत्सव (Holi festival) काफी आगाज हो गया है। जो अगले 40 दिनों तक चलेगा। 40 दिनों तक चलने वाली होली के दौरान कुल्लू के एक विशेष बैरागी समुदाय के लोग एक दूसरे को गुलाल लगाएंगे।
आज भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) की रथयात्रा में भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ी बरदार महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) और उनके परिवार ने इस दौरान देव परंपरा का निर्वहन किया। मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के अनुसार कुल्लू की होली का विशेष महत्व है। यह परंपरा सदियों से निभाई जा रही है जिसे आज भी यथावत रूप में मनाया जा रहा है। महेश्वर सिंह के अनुसार आज सुबह सबसे पहले भगवान रघुनाथ जी की रघुनाथपुर मंदिर में पूजा अर्चना की गई। उसके बाद विधि अनुसार उन्हें पालकी में बैठा कर ढालपुर के रथ मैदान पहुंचाया गया, जहां रथ को सजाया गया था।
Lord-Raghunath
ढालपुर उसके बाद राम भरत मिलन और हनुमान द्वारा लोगों को केसर लगाने की परंपरा को निभाया गया और उसके बाद रथ यात्रा विधि विधान से शुरू की गई और अस्थाई शिविर में पूजा अर्चना के बाद रघुनाथ वापस अपने मंदिर सुल्तानपुर लौट गए। इस रथ यात्रा के साथ ही कुल्लू की अनूठी होली का भी आगाज हो गया है। अब देश में होने वाली होली के ठीक 8 दिन पूर्व यहां होलाष्टक पर्व मनाया जाता है और देश की होली से एक दिन पूर्व कुल्लू में मुख्य होली मनाई जाती है जबकि बाकी देश भर में 1 दिन बाद होली का उत्सव मनाया जाता है।
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