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हिमाचल के मंदिरों में अब हिंदू कर्मचारियों की होगी तैनाती, गैर हिंदुओं पर खर्च नहीं होगा चढ़ावा
Last Updated on October 2, 2021 by saroj patrwal
शिमला। हिमाचल में अब मंदिरों (Temples) शक्तिपीठों और धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले चढ़ावे का पैसा, सोना, चांदी अब गैर हिंदुओं पर खर्च नहीं किया जाएगा। इसी के साथ मंदिरों की सुरक्षा से संबंधित कामों समेत अधिकारी और कर्मचारी भी सिर्फ हिंदू (Hindu) धर्म मानने वाली ही होंगे। भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग ने हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास अधिनियम 1984 की धारा 27 के तहत मंदिर आयुक्तों को ये आदेश जारी किए हैं।
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इसे लेकर भाषा एवं संस्कृति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान (RD Dhiman) ने अधिसूचना भी जारी की है। बता दें कि प्रदेश में ऐसे कई बड़े मंदिर और शक्तिपीठ हैं जिनमें हर साल करोड़ों रुपये का चढ़ावा चढ़ता है। इन मंदिरों में चढ़ने वाला सोना और चांदी खजाने में जमा किया जाता हैए जबकि धनराशि को बैंकों में एफडी बनाकर रखा जाता है। अधिकांश मंदिरों में यह सोना और चांदी वर्षों से खजाने के रूप में पड़ा है। इसका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
पुजारियों और अन्य कर्मचारियों को चढ़ावे से दी जाती है सैलरी
मंदिरों में आए चढ़ावे से पुजारियों और अन्य कर्मचारियों को सैलरी और भत्ता भी दिया जाता है। इसके अलावा मंदिर के रखरखाव, मूर्तियों-मंदिरों की सजावट और मंदिरों के अधीन स्कूलों-कॉलेजों और अन्य कामों के लिए खर्च किया जाता है। चढ़ावे की बाकी राशी को मंदिर में एफडी के रूप में जमा किया जाता है। ये पैसा विकास कार्यों समेत अन्य प्रशासनिक कार्यों में भी खर्च होता है।
खजाने में भारी मात्रा में सोना-चांदी
बताया जाता है कि हिमाचल के कई मंदिरों के खजानों में सालों से भारी मात्रा में सोना-चांदी रखा हुआ है। जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। हालांकि पहले सोना-चांदी पिघलाकर इसके सिक्के बनाकर उन्हें श्रद्धालुओं को देने का प्लान था, जोकि सिरे नहीं चढ़ पाया। अब 1986 में संशोधित नियमों में फिर से संशोधन करने की तैयारी चल रही है। ताकि मंदिरों के पैसे और जेवरात का सही इस्तेमाल किया जा सके।
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