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बिलासपुर का नलवाड़ी मेला शुरूः लक्ष्मी नारायण मंदिर से लुहणू मैदान तक निकाली शोभा यात्रा
बिलासपुर में होने वाला राज्यस्तरीय नलवाड़ी मेले का आज शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण मंदिर से लुहणू मैदान तक शोभा यात्रा निकाली गई। मेले का शुभारंभ खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने लुहणू मैदान में बैल पूजन कर के खूंटा गाड़ कर मेले का शुभारंभ किया गया। मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र छिंज और 20 मार्च से शुरू होने वाली सांस्कृतिक संध्याएं रहेगी । पहले ये मेला गोविंद सागर झील में डूबे सांडू के मैदान में आयोजित किया जाता था। अब नए शहर बिलासपुर के लुहणू मैदान में मेला होता है। समय के साथ नलवाड़ी मेला बिलासपुर के नए लुहणू मैदान में शिफ्ट हो गया। पहले मेले का आयोजन नगर पालिका करती थी। लेकिन बाद में इसे राज्य स्तरीय मेला घोषित कर दिया गया। नलवाड़ी मेले में छिंज मुख्य आकर्षण थी।
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आधुनिकता की चकाचौंध में अब नलवाड़ी मेला अपना पुराना अस्तित्व खो चुका है। कभी लाखों के पशुधन का इस मेले में कारोबार होता था। वहीं अब पूजा करने के लिए भी बैल मंगवाने पड़ते हैं। अब यह मेला रस्मों को अदा करने तक ही रह गया है। हालांकि सरकारी अमले का मेले को सफल बनाने का काफी प्रयास रहता है। पहले नलवाड़ी मेले में हजारों की संख्या में पशुओं का क्रय-विक्रय होता था। हर परिवार की महिलाएं बैलों को आटे के पेड़े खिलाती थीं। इसे पुण्य माना जाता था। राजाओं के समय ऊंटों में सामान लेकर व्यापारी पंजाब के रोपड़ और नवांशहर से यहां पहुंचते थे।
बिलासपुर के नलवाड़ी मेले में पाकिस्तान तक के पहलवान यहां पर अपना दमखम दिखाने के लिए पहुंचते थे. लेकिन अब की कुश्ती में वह पुरानी बात नहीं रही हैं, क्योंकि लोगों का कहना है कि अब की कुश्ती सिर्फ पैसा बटोरने वाली रह गई है। नलवाड़ी मेले में रात्रि कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। स्व. गंभरी देवी, रोशनी देवी व संतराम चब्बा आदि को सुनने के लोगों की काफी भीड़ उमड़ती थी।