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ऐसे हुआ नंदी का जन्म जो बाद में बना भगवान शिव की सवारी
हिंदू धर्म (Hindu Religion) सनातन धर्म है। यहां सभी देवताओं के अपने-अपने वाहन हैं। भगवान विष्णु (Lord Vishnu) गरूढ़ पर सवारी करते हैं। भगवान श्री गणेश मूषक पर सवारी करते हैं। माता लक्ष्मी उल्लू पर सवारी करती है। इसी प्रकार भगवान शिव (Lord Shiva) नंदी पर अपनी सवारी करते हैं। हर शिव मंदिर में नंदी की मूर्ति भी बनी होती है। जहां लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं वहीं नंदी बैल की भी पूजा करते हैं। मगर क्या आप यह जानते हैं कि नंदी ही क्यों बना भगवान शिव की सवारी। इस संबंध में पौराणिक कथाएं हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि शिलाद (Rishi Shilad) एक बार ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर रहे थे। ऐसे में उन्हें यह डर सताने लगा कि उसकी मौत होने पर वंश खत्म हो जाएगा। इसी डर से उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्हें दर्शन दे दिए। साथ ही भगवान शिव ने ऋषि से वर मांगने के लिए भी कहा।
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तब ऋषि ने कहा कि उसे ऐसा पुत्र चाहिए जिसे मौत छू भी ना सके और सदैव आपकी कृपा भी बनी रहे। भगवान शिव ने ऋषि को वरदान दिया और कहा कि ऐसे ही पुत्र की प्राप्ति होगी। अगले ही दिन ऋषि शिलाद एक खेत से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक नवजात बच्चा पड़ा हुआ और वह काफी सुंदर और लुभावना है। उन्होंने सोचा कि इतने प्यारे बच्चे को क्यों छोड़ें। तभी शिवजी की आवाज आई कि यही तुम्हारा पुत्र है। यह सुनकर ऋषि की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह उसे साथ लेकर चले आए। इस बच्चे का नाम नंदी रखा गया। एक बार ऋषि के घर पर दो संन्यासी आए। ऋषि ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। वे संन्यासी प्रसन्न हो उठे और उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। मगर उन्होंने नंदी के लिए एक शब्द भी नहीं बोला। जब ऋषि ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नंदी की उम्र कम है। इसलिए ही हमने आशीर्वाद नहीं दिया। यह बात नंदी ने सुन ली और ऋषि शिलाद से कहा कि मेरा जन्म भगवान शिव की कृपा से हुआ है और वे ही मेरी रक्षा करेंगे, इसके बाद नंदी भगवान शिव की स्तुति करने लगे और कठोर तप किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और नंदी को अपना प्रिय वाहन बना लिया। इसके बाद से भगवान शिव के साथ नंदी की भी पूजा की जाने लगी।
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