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Corona के बीच Shimla में अंडरग्राउंड वाटर टैंक में रह रहे थे नेपाली बच्चे, किए Rescue
शिमला। हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा अगले आदेशों तक कर्फ्यू लगाया गया है। इस बीच संजौली की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, कॉलोनी के एक निर्माणाधीन मकान में स्थित अंडरग्राउंड सूखे वाटर टैंक (Under ground dry water tank) में रह रहे दो नेपाली बच्चों को रेस्क्यू (Rescue) किया गया है। बताया जा रहा है कि दोनों बच्चों को उनके माता-पिता छोड़कर कहीं चले गए हैं और वे अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में अंधेरे वाटर टैंक में रात गुजारते थे।
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इन बच्चों को उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो अजय श्रीवास्तव ने पुलिस की मदद से रेस्क्यू कराया है। मंगलवार रात को संजौली की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी (Housing Board Colony) में रहने वाले एसजेवीएन के अधिकारी सनी सराफ ने प्रो. अजय श्रीवास्तव को फोन पर बताया कि दो मासूम बच्चे बेहद खराब परिस्थितियों में निर्माणाधीन अंडर ग्राउंड पानी की टंकी में रहते हैं। उन्होंने कहा की इनके माता-पिता उन्हें छोड़कर कहीं चले गए हैं और बच्चे असुरक्षित हैं। सनी सराफ ने उन्हें खाना और कपड़े भी दिए। उमंग फाउंडेशन ने तुरंत इसकी जानकारी जूविनाइल जस्टिस एक्ट के अंतर्गत बनी वैधानिक संस्था चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जिला अध्यक्ष जीके शर्मा को दी और उनसे मासूम बच्चों को तुरंत रेस्क्यू कराने का अनुरोध किया। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जीके शर्मा ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता जताते हुए श्रीवास्तव को चाइल्ड लाइन या पुलिस को फोन करने की सलाह दी।
इसके बाद देर रात अजय श्रीवास्तव शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर से बच्चों को तुरंत रेस्क्यू कराने का अनुरोध किया। प्रदीप ठाकुर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बालूगंज के एसएचओ राजकुमार को बच्चों को रेस्क्यू करने के निर्देश दिए। एसएचओ राजकुमार एएसआई मोहिंदर सिंह के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे और रात 12 बजे दोनों बच्चों को रेस्क्यू करके रॉकवूड (निकट पोर्टमोर) स्थित बाल आश्रम में पहुंचा दिया। मासूम बच्चों का दुखड़ा भी दर्दनाक है उनके माता-पिता ने कहीं अलग- अलग शादी कर ली है। लिहाजा अनाथ होने पर उन्हें रहने के लिए यह जगह सबसे सुरक्षित लगी। दोनों बच्चे अपनी उम्र 10 वर्ष और 11 वर्ष बताते हैं। अब बच्चों के माता-पिता को ढूंढने का प्रयास किया जाएगा। तब तक बच्चे सुरक्षित आश्रय में रहेंगे।