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सीपीएस पर बोलने वाली बीजेपी ने बोर्डों निगमों में हारे नेता किए थे नियुक्ति
शिमला। सुक्खू सरकार द्वारा सीपीएस (CPS) की नियुक्ति पर बीजेपी सरकार (BJP Govt) के लगातार किए जा रहे हमले पर सोमवार को कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह (Anirudh Singh) एवं विक्रमादित्य सिंह ने पलटवार किया है। इन दोनों नेताओं ने कहा कि पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) को चर्चा में बने रहने के लिए आधारहीन एवं बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं। दोनों मंत्रियों ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति (Chief Parliamentary Secretaries Appointment) के बारे में पूर्व सीएम के आरोप भी गैर-जिम्मेदाराना हैं। उन्होंने पूर्व सीएम को याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में विभिन्न बोर्डों एवं निगमों में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्षों की बड़े स्तर पर नियुक्तियां की गई थीं। उन्होंने कहा कि सभी हारे और नकारे हुए दूसरी पंक्ति के नेताओं को उस समय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर मलाईदार पदों पर सुशोभित किया गया था।
उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अपने कार्यकाल के अंतिम चरणों में प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पूर्व बीजेपी सरकार (Former BJP Govt) द्वारा खोले गए संस्थानों को डी-नोटिफाई (denotify) करने का मामला पूर्व सीएम बार-बार उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी संस्थान बिना किसी दूरगामी सोच और बजट प्रावधानों के बगैर केवल मात्र मतदाताओं को लुभाने के लिए खोले अथवा स्तरोन्नत किए गए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ऐसे सभी संस्थानों को बंद करने और इन सभी की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। निर्धारित मापदंडों एवं लोगों की आवश्यकतानुसार हीए अगर आवश्यकता होगी, प्रदेश सरकार उचित बजट प्रावधान कर इन्हें पुनः खोलने पर निर्णय लेगी। अनिरुद्ध और विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पूर्व बीजेपी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण वर्तमान प्रदेश सरकार को 75000 करोड़ रुपये का ऋण सौगात में मिला है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, पूर्व बीजेपी सरकार ने लगभग 5000 करोड़ रुपए की वित्तीय देनदारियां भी छोड़ी हैं और ऐसे में बीजेपी नेताओं को प्रदेश सरकार के निर्णयों पर टिप्पणी करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। पूर्व बीजेपी सरकार द्वारा बिना सोचे- समझे किए गए गैर-जरूरी व अनुत्पादक खर्चों के कारण ही वर्तमान प्रदेश सरकार को राज्य में डीजल (Diesel) पर वैट (VAT) की दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा है।
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