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कोरोना का नया रूप: ‘ओमिक्रॉन’ दहशत अधिक, हकीकत क्या, जानें यहां
नई दिल्ली। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से दुनिया में गहरी चिंता है। यूरोपियन यूनियन ने अफ्रीकी देशों की उड़ानों पर रोक लगा दी है। जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका का दर्द भी छलका है। दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि दुनिया उसे नए वैरिएंट पहचानने की सजा दे रही है। लेकिन कोरोना के नए वैरिएंट ऑमिक्रॉन की हकीकत क्या है। और इससे किस हद तक डरने की जरूरत है, आज हम इस पर तफ्तीश से बात करेंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ओमिक्रॉन को कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से 7 गुना तेजी से फैलने वाला बताया गया है। इस लिहाज से वायरस के बहुत तेजी के साथ लोगों को संक्रमित करने की आशंका खड़ी हो गई है। इसका असर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका से एशियाई बाजार में शेयर मार्केट धड़ाम से टूट रहे हैं। लेकिन ओमिक्रॉन का दूसरा पहलू यह भी है कि जिस अफ्रीका से नए स्ट्रेन की शुरुआत हुई, वहां पिछले दो महीने से नए मरीजों और मौतों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है। यह बात इसलिए अहम है, क्योंकि अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट दो महीने से मौजूद है। तब से अब तक यह 45 बार अपना रूप बदल चुका है। इसके बावजूद मौतों की संख्या में कमी आ रही है।
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अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि दुनिया की 17 फीसदी वाले अफ्रीकी महाद्वीप के 54 देशों में प्रतिदिन 4200 मरीज मिल रहे हैं। जो यूरोप के मुकाबले 86 गुना कम है। उधर, अफ्रीका में रोज होने वाली मौतें भी 150 से कम है। वहीं, मौतों के मामले में यूरोप से तुलना करने पर यह आंकड़ा 26 गुना कम है। राहत की बात यह है कि अफ्रीका में रोजाना केस और मौतें, दोनों ही दो महीने से लगातार घट रही हैं। दूसरी ओर दुनिया की 10% आबादी वाले यूरोप के 45 देशों में रोज 3.63 लाख मरीज रोज मिल रहे हैं। रोज 3,880 से ज्यादा मौतें हो रही हैं।
हालांकि, भारत सरकार ने भी एहतियातन कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड के नए वैरिएंट से प्रभावित मुल्कों से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग के निर्देश जारी किए। भारत आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कोरोना जांच कराई जाएगी। हाल ही में वीजा पाबंदी में ढील और इंटरनैशल ट्रैवल में छूट दी गई थी, ऐसे में इसको लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है। वहीं, रैपिड टेस्टिंग पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है।
बता दें कि इस वैरिएंट में म्यूटेशन रेट अधिक है। डब्लूएचओ के वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जारी की है। मालूम हो कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट काल साबित हुए थे। सबसे चिंता की बात यह है कि मौजूदा वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ कारगर है या नहीं, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसमें वक्त लग सकता है।
बताया गया है कि जो भी लोग अफ्रीकी महाद्वीप के देशों से भारत आएंगे, उन्हें एक सख्त स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ेगा। ये सब इसलिए होगा क्योंकि अफ्रीका के उन देशों को ‘एट रिस्क’ वाली कैटेगरी में रखे जाने की तैयारी है। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी में डेल्टा वैरिएंट ने कहर मचाया था। यूरोप और बाकी देशों में कहर बरपा रहे डेल्टा वैरिएंट के डर से कई भारतीय अपने मुल्क लौट आए थे। एयरपोर्ट पर टेस्टिंग में हुई चूक के चलते देश में लाखों जानें गई। ऐसे में इस बार केंद्र सरकार विशेष सतर्कता बरत रही है।