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डॉ. लोबसंग सांग्ये बोले- गलवान वैली पर चीन का अधिकार नहीं
धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (Central Tibetan Administration) के अध्यक्ष डॉ. लोबसंग सांग्ये ने कहा कि गलवान वैली पर चीन (China) का अधिकार नहीं है। अगर चीनी सरकार ऐसा दावा कर रही है तो ये गलत है। गलवान नाम ही लद्दाख (Ladakh) का दिया हुआ है, फिर ऐसे दावों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि लगभग 7 वर्ष से चीनी सेना लद्दाख में एलएसी (LAC) सीमा के साथ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है। यह वही चीनी सरकार है जो सबसे अच्छा करती है, वे पहले आपको आश्चर्यचकित करते हैं। ठीक ऐसा ही 60 साल पहले तिब्बत में हुआ था। चीन ने चीन और तिब्बत को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण करके तिब्बत की समृद्धि, स्थिरता और बहुतायत का वादा किया था, लेकिन सड़क का इस्तेमाल अंततः तिब्बत पर कब्जा करने और तिब्बत में जमा सभी समृद्ध खनिज संसाधनों का दोहन करने के लिए ट्रकों, तोपों और टैंकों को लाने के लिए किया गया था। चीन हमेशा विकास और उन्नति की बात करता है, लेकिन जब भारत या तिब्बत विकास की बात करते हैं, तो वे एक प्रमुख मुद्दा होते हैं।
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उन्होंने कहा कि चीनी सरकार के मनोविज्ञान और मानसिकता को समझने के लिए, “झेनगुओ” (मध्य साम्राज्य) शब्द से परिचित होना चाहिए। इसका मतलब है कि चीन ब्रह्मांड का केंद्र है। वे खुद को श्रेष्ठ प्राणी और सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। इसलिए वे मानते हैं कि वे पड़ोसी देशों की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस विशेष मानसिकता के साथ तिब्बत पर आक्रमण किया। लद्दाख और भारत चीन की परिधि में हैं, इसलिए चीन सरकार को लगता है कि उनके ऊपर उनकी संप्रभुता है।
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लद्दाख में एलएसी सीमा पर हाल ही में हुई घुसपैठ और आक्रामकता पर बोलते हुए लोबसंग सांग्ये (Dr. Lobsang Sangay) ने कहा कि यह तिब्बत (Tibet) पर कब्जे के बाद से कई वर्ष से उनकी पुरानी पुरानी रणनीति का हिस्सा है। शी जिनपिंग जो आक्रामकता और घुसपैठ के पीछे हैं, वे ना केवल चीन के बल्कि पूरे विश्व के सर्वोच्च नेता बनना चाहते हैं। वह सभी पड़ोसी देशों पर स्वामित्व का दावा करना चाहता है, लेकिन कोरोनो वायरस के लिए जिम्मेदारी नहीं लेगा। अहिंसा भारत की परंपरा है और यहां इसका पालन होता है. वहीं, चीन अहिंसा की बातें तो करता है, लेकिन पालन नहीं करता। वो हिंसा का पालन करता है। इसका सबूत तिब्बत है। चीन ने हिंसा के दम पर ही तिब्बत पर कब्जा किया है।इस विवाद से निपटने को लेकर सांगेय ने कहा कि तिब्बत को जोन ऑफ पीस बनाना होगा। दोनों सीमाएं आर्मी फ्री होनी चाहिए, तभी शांति होगी। भारत और चीन के बीच तिब्बत है और जब तक तिब्बत का मुद्दा हल नहीं होता, तब तक तनाव की स्थिति बनी रहेगी। आर्थिक मोर्चो पर चीन को सबक सिखाया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक रूचि में से आपको चुनना है। राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे ऊपर है। सांगेय ने कहा कि भारत-चीन के बीच जो व्यापार चल रहा है, उससे चीन को डबल, ट्रिपल फायदा हो रहा है। ऐसे में व्यापार पर नियंत्रण से असर होना स्वाभाविक है।