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बाबा बालक नाथ मंदिर कमेटी के गैर सरकारी सदस्यों को हाईकोर्ट से राहत नहीं
Last Updated on December 28, 2022 by sintu kumar
शिमला। दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर (Baba Balak Nath Temple) कमेटी के गैर सरकारी सदस्यों को हाईकोर्ट (High Court) से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। प्रदेश सरकार के मंदिर ट्रस्ट कमेटियों को निरस्त करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फिलहाल इस फैसले पर रोक नहीं लगाई है। मामले की सुनवाई वीरवार को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता पवन जगोता और अन्य की ओर से याचिका दायर की गई है।
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याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार की 15 दिसंबर 2022 की अधिसूचना के तहत बाबा बालक नाथ मंदिर कमेटी को निरस्त किया गया है। दलील दी गई कि दियोटसिद्ध (Deotsidh) में बाबा बालक नाथ मंदिर में पूरे भारत से लाखों श्रद्धालु आते हैं। वे मंदिर में पैसे, सोना-चांदी, छत्र इत्यादि चढ़ाते हैं। मंदिर व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए मंदिर ट्रस्ट का निर्माण किया गया है। इस ट्रस्ट में कुछ सदस्य सरकारी अधिकारी है और कुछ अन्य सदस्य है। 26 जुलाई 2018 को उपायुक्त हमीरपुर ने अधिसूचना जारी कर याचिकाकर्ताओं को मंदिर ट्रस्ट का सदस्य मनोनीत किया। मंदिर ट्रस्ट की कल्याणकारी स्कीम के तहत उन्हें 24 नवंबर 2022 को मंदिर व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए उन्हें जिम्मेवारी सौंपी गई। आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार की 15 दिसंबर 2022 की अधिसूचना के तहत हिमाचल के सभी मंदिर ट्रस्ट कमेटियों को निरस्त करने का फैसला लिया गया।
सरकार के इस निर्णय की अनुपालना में मंदिर अधिकारी ने 16 दिसंबर को याचिकाकर्ताओं की सदस्यता को निरस्त कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार की ओर से मंदिर ट्रस्ट कमेटियों को निरस्त करने का निर्णय गलत है। यदि इस निर्णय के तहत मंदिर ट्रस्ट में गैर सरकारी सदस्य की जिम्मेवारी को निरस्त किया जाता है तो उस स्थिति में मंदिर व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं हो सकती। याचिका के माध्यम से अदालत से गुहार लगाई गई है कि राज्य सरकार की 15 दिसंबर 2022 की अधिसूचना को रद्द किया जाए।