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शारदीय नवरात्रः मां दुर्गा को नौ दिन लगाएं इस चीजों का भोग, पूरे होंगे हर काम
मां दुर्गा की साधना का महापर्व शारदीय नवरात्र 07 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। मां भगवती के भक्त देवी की पूजा की तैयारी कर रहे हैं। इस बार शरद नवरात्र का पर्व गुरुवार से आरंभ हो रहा है। इसका अर्थ ये है कि इस बार माता ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी। सभी चाहते हैं कि मां उनसे प्रसन्न हो और उनकी मनोकामना पूरी कर दें। हम सभी जानते हैं कि मां को भोग लगाने का अलग ही महत्व है। इस बार शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में देवी के प्रतिदिन किस चीज का भोग लगाएं। इसके बारे में हम आप को बताने जा रहे हैं।
प्रथम दिन यानि की प्रतिपदा को देवी की साधना हमेशा गौ घृत से षोडशोपचार पूजा करें और माता को गाय का घी अर्पण करें। माता की पूजा में गाय का घी चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विशेष रूप से आरोग्य लाभ होता है।
द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाकर उसका विशेष रूप से दान करना चाहिए। इस दिन शक्कर का दान करने से आयु बढ़ती है।
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तृतीया तिथि के दिन दूध की प्रधानता होती है। ऐसे में मां भगवती की पूजा में विशेष रूप से दूध का उपयोग करें और उसके बाद उस दूध को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। दूध का दान दुःखों से मुक्ति का परम साधन है।
चतुर्थी तिथि को देवी की पूजा में विशेष रूप से मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद इसे किसी सुयोग्य बाह्मण को दान कर दें।मालपुआ का दान करने से बुद्धि बल बढ़ता है।
पंचमी तिथि के दिन शक्ति की साधना करते हुए देवी भगवती को केले का नैवेद्य चढ़ावें और यह प्रसाद किसी ब्राह्मण को दान करें। इस उपाय को करने से विवेक बढ़ता है और निर्णय शक्ति में असाधारण विकास होता है।
षष्ठी तिथि के दिन माता को शहद चढ़ाने का विशेष महत्व है। इस दिन शक्ति की साधना में शहद चढ़ाकर उसे किसी ब्राह्मण को दान करने से व्यक्ति का सौंदर्य एवं आकर्षण बढ़ता है और समाज में उसका खूब नाम होता है।
सप्तमी तिथि के दिन माता को विशेष रूप से गुड़ का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। इस दिन माता को गुड़ चढ़कार किसी ब्राह्मण को दान करने से जीवन से जुड़े सभी शोक, रोग दूर होते हैं और आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है।
अष्टमी तिथि को भगवती को नारियल का भोग अवश्य लगाना चाहिए। इस उपाय को करने से सभी प्रकार के पाप और पीड़ा का शमन होता है।
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नवमी तिथि के दिन माता की पूजा धान के लावा से करना चाहिए। इसके बाद इस धान को किसी ब्राह्मण को दान करने से साधक को लोक–परलोक का सुख प्राप्त होता है।
दशमी तिथि के दिन माता को काले तिल का नैवेद्य का अर्पण करने से जीवन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है और ज्ञात–अज्ञात शत्रुओं का नाश होता है।
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