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मंडी। हिमाचल पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने मंडी (Mandi) के पड्डल मैदान से प्रदेश को 11 हजार करोड़ की सौगात दी। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 7,000 करोड़ की रेणुका बांध परियोजना और 1,800 करोड़ की 210 मेगावाट से अधिक की लुहरी स्टेज-1 पनबिजली परियोजना की आधारशिला रखी। 2,000 करोड़ रुपये की शिमला जिले में पब्बर नदी पर बनी 111 मेगावाट की सावड़ा कुड्डू पनबिजली परियोजना का लोकार्पण किया और 700 करोड़ रुपये से बनने वाली 66 मेगावाट की धौलासिद्ध पनबिजली परियोजना का शिलान्यास किया।
पीएम नरेंद्र मोदी के मंच पर पहुंचने पर उन्हें सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने सात फीट लंबा भगवान शिव का त्रिशूल भेंट किया। इसके अलावा पशमीना शाल, टोपी और चंबा थाल देकर सम्मानित किया गया। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी का हिमाचल से खासा लगाव है। वहीं भगवान शिव के प्रति भी उनकी गहरी आस्था है। इसी के चलते पिछले दिनों उन्होंने मंडी के बाबा भूतनाथ के दर्शन वर्चुअल किए थे। इसी के चलते आज छोटी काशी पहुंचने पर उन्हें जयराम ठाकुर ने सात फीट ऊंचा और 25 किलो का त्रिशूल भेंट किया। बताया जा रहा है कि इस त्रिशूल का निर्माण मंडी में ही करवाया गया था और इसे भेंट करने का सुझाव सीएम जयराम ठाकुर ने दिया था। सात फीट लंबे इस त्रिशूल (Trishool) को पीतल से तैयार किया गया है और इसमें रुद्राक्ष की माला और डमरू भी साथ में है। त्रिशुल को बनाने में कारीगरों को 20 दिन लगे थे। इसको बनाने के दौरान धार्मिक मान्यताओं का पूरा ध्यान रखा गया है। मंच पर जब इसे पीएम मोदी को भेंट किया गया पीएम मोदी ने उसे गौर से दिखा और उसके बाद हाथ में पकड़ा। जैसे ही पीएम ने त्रिशूल हाथ में पकड़ाए पूरा पंडाल भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा।
पशमीना शाल मुख्यत: कश्मीर में तैयार की जाती है। पीएम नरेंद्र मोदी को मंडी की रैली में यही भेंट की गई। इसके साथ एक पहाड़ी टोपी सीएम ने पहनाई। पशमीना शाल की खासियत यह है कि यह लंबे समय तक इस्तेमाल की जा सकती है। इसे हाथों से बारीक कारीगिरी पारंपरिक तरीके व सजावट से बनाया जाता है। इसकी कीमत 50 हजार से तीन लाख रुपये तक रहती है। पीएम मोदी को जब इससे सम्मानित किया गया तो उन्होंने इसे ओढ़कर रखा।
हेलिकॉप्टर में सफर करते हुए ही सही, पीएम नरेंद्र मोदी ने मंडी की सेपू बड़ी, सिड्डू और कचौरी का स्वाद चखना नहीं भूले। सरकार और प्रशासन की ओर से पीएम मोदी के लिए खास तौर पर पारंपरिक व्यंजन तैयार करवाए किए गए। रैली से लौटते वक्त ही तमाम औपचारिकताएं निभाने के बाद उन्हें खाने का डिब्बा दिया गया। इसमें पारंपरिक व्यंजनों के साथ एप्पल जूस और ड्राइ फ्रूट भी शामिल रहा।
पीतल पर हाथों से कलाकृतियां उकेर कर तैयार किए जाने वाला चंबा थाल अपने आप में खास है। इस थाल पर पहले हिंदू देवी देवताओं की कलाकृतियां उकेरी जाती थीं। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया, इसमें देवी देवताओं के अलावा गद्दी समुदाय सहित हिमाचली संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी जाने लगीं। वर्तमान में चंबा थाल पर ग्राहकों की इच्छानुसार कलाकृतियां उकेरी जाती हैं। यह तीन आकार व वजन में उपलब्ध है। छोटे थाल की कीमत करीब 1400, मध्यम आकार की कीमत दो हजार तथा बड़े थाल की कीमत करीब तीन हजार रुपये तक होती है।
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