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रामलला प्राण प्रतिष्ठाः राम मंदिर में विराजित हुई प्रभु की मूर्ति क्यों हैं श्याम? जानिए
Last Updated on January 20, 2024 by Soumitra Roy
नेशलन डेस्क। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) से पहले सभी राम भक्तों को रामलला की संपूर्ण और भव्य मूर्ति के दर्शन हुए। रामलला की पूरी मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है जो कि विहंगाम बाल स्वरूप को दर्शाती है। जानकारी के अनुसार, इसी मूर्ति को गर्भगृह में रखा जाएगा। मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है। कमल के फूल के साथ इसकी लंबाई 8 फीट और वजन 200 किलोग्राम है। इस मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। क्या आपने सोचा है कि प्रभु की मूर्ति (Statue) का रंग श्याम क्यो है? चलिए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों है………….
अरूण योगीराज नहीं बनना चाहते थे मूर्तिकार….
रामलला की प्रतिमा का निर्माण करने का जिम्मा कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरूण योगीराज (Arun Yogiraj) को सौंपा गया था। अरूण मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे लेकिन उनके दादा की भविष्यवाणी थी कि वह बड़े होकर मूर्तिकार बनेंगे। 37 साल बाद यह सच हुआ और अरूण ने सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई, जिसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल पर स्थापित किया गया है। इसके बाद उन्होंने कई मूर्तियों का निर्माण किया। रामायण में भी कहा गया है कि प्रभु श्रीराम श्याम वर्ण के थे और इसलिए इसको ज्यादा महत्व दिया गया। भगवान राम श्याम और शिव गौर वर्ण के हैं।
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भगवान श्रीराम की स्तुति मंत्र में कहा गया है:
- नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम्। पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।
- इसका अर्थात है नीलकमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, सीता जी जिनके वाम भाग में विराजमान हैं, जिनके हाथों में अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्रीरामचंद्र जी को मैं नमस्कार करता हूं. अर्थात् परमात्मा श्रीराम श्याम वर्ण के हैं।
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