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दुनिया में हर इंसान के हाथ की त्वचा दो लेयर से बनती है। स्किन की पहली लेयर को एपिडर्मिस और दूसरी लेयर को डर्मिस कहा जाता है। हमारे हाथों की स्किन की इन्हीं दोनों लेयर मिलकर फिंगरप्रिंट (Fingerprint) के उभार बनते हैं। ये फिंगरप्रिंट इतने पावरफुल होते हैं कि आप इनका इस्तेमाल करके पासवर्ड बना सकते हैं।
गौरतलब है कि फिंगरप्रिंट यूनिक होते हैं। किसी एक इंसान का फिंगर प्रिंट किसी दूसरे इंसान के फिंगर प्रिंट से मैच नहीं करता है। अलग-अलग फिंगरप्रिंट के पीछे इंसान के जीन्स, वातावरण जैसे फैक्टर जिम्मेदार हैं। खास बात ये है कि ये फिंगर प्रिंट हाथ जलने व किसी घाव के होने पर भी नहीं बदलता है। आजकल ज्यादातर स्मार्टफोन भी फिंगरप्रिंट के इस्तेमाल से खुलते हैं। इतना ही नहीं आजकल बहुत सारे ऑफिस में भी अटेंडेंस के लिए फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल होने लगा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, फिंगरप्रिंट इंसान के गर्भ से ही बनने लगता है। वहीं, अगर हाथों में किसी तरह की दिक्कत आती है और फिंगरप्रिंट गायब हो जाते हैं तो कुछ ही महीनों में ये वापस उसी पोजिशन पर आ जाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ भी इंसान के फिंगरप्रिंट में कोई बदलाव नहीं आता है। जीवनभर इंसान का फिंगरप्रिंट एक जैसा ही रहता है।
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