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शिमला। राष्ट्रपति (President) की ओर से जारी आदेशानुसार हिमाचल हाईकोर्ट ( Himachal High Court) के अतिरिक्त न्यायाधीश सत्येन वैद्य को हाईकोर्ट का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर गुरुवार सुबह साढ़े 9 बजे राजभवन शिमला में इन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे। 26 जून 2021 को इन्हें हिमाचल हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judge) नियुक्त किया गया था। 22 दिसंबर]1963 को इनका जन्म मंडी (Mandi) में हुआ था। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लालपानी से इनकी प्रारम्भिक पढ़ाई हुई।
स्नातक की पढ़ाई इन्होंने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज संजौली से की। कानून की पढ़ाई प्रदेश विश्व विद्यालय से पूरी करने के पश्चात वर्ष 1986 से इन्होंने प्रदेश बार काउंसिल से बतौर अधिवक्ता लाइसेंस हासिल किया। जिसके पश्चात इन्होंने प्रदेश हाईकोर्ट व जिला अदालत शिमला के समक्ष वकालत शुरू की। इन्हें 2015 में हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया था।
शिमला। तकनीकी विश्वविद्यालय के विकास के लिए छात्रों (Students) से लिया जा रहा फंड कानून सम्मत है या नहीं, इस बाबत प्रदेश हाईकोर्ट में आगामी सुनवाई 11 मई को निर्धारित की गई है। हिमाचल प्रदेश निजी तकनीकी शिक्षण संस्थान एसोसिएशन (Association of Private Technical Educational Institutions) द्वारा दायर याचिका में राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। राज्य सरकार ने प्रवेश एवं फीस कमेटी की सिफ़ारिशों पर निर्णय लिया था कि तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर (Technical University Hamirpur) के विकास के लिए प्रत्येक छात्र से प्रतिवर्ष पांच हजार रुपए फंड के तौर पर लिए जाए। बाद में इसे पांच हजार रुपए से घटा कर तीन हजार रुपए किया गया है।
प्रार्थी एसोसिएशन और छात्रों द्वारा राज्य सरकार के इस निर्णय को असैधानिक ठहराए जाने बारे हाईकोर्ट से गुहार लगाईं है। प्रार्थी एसोसिएशन ने याचिका के माध्यम से दलील दी है कि हर निजी कॉलेज दो लाख पचास हजार रुपए संबद्धता के लिए, पचहत्तर हजार रुपए जांच करवाने के लिए, पंद्रह सौ रुपए प्रति छात्र के पंजीकरण के लिए और पांच हजार रुपए, जिसे अब तीन हजार कर दिया है, विश्वविद्यालय को दिए जा रहे है। प्रार्थी एसोसिएशन ने यह भी दलील दी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इसके विकास के लिए छात्रों से फंड किस आधार पर लिया जा रहा है, इसका स्पष्टीकरण देने बारे विश्वविद्यालय प्रशासन असमर्थ है। प्रार्थी छात्रों ने राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय को यह कहकर चुनौती दी है कि वे निजी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे है तो फिर उनसे विश्वविद्यालय के विकास के लिए इस आधार पर फंड लिया जा रहा है।
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