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दांतों की सफाई के लिए टूथपेस्ट कितना जरूरी, कैसे करें इसका चयन; यहां पढ़ें
दांतों की सफाई के लिए टूथपेस्ट बहुत जरूरी है, लेकिन बाजार में सैंकड़ों कंपनियों के टूथपेस्ट मौजूद हैं। ऐसे में कौन सा हमारे लिए सही है इसका चयन करना हर किसी के लिए मुशिकल हो जाता है। आज हम आपकों इसके फायदे और नुकसान के बारे में बताएंगे। वहीं इसके चयन में भी आपकी मदद करेंगे। बता दें कि दांतों की सफाई के लिए टूथपेस्ट बहुत जरूरी है, लेकिन यह बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। टूथपेस्ट पेट में जाकर स्केलेटल फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। इस बीमारी के बाद शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और दांत भी खराब होने लगते हैं।
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जानकारी के अनुसार टूथपेस्ट करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे इसे निगले नहीं। टूथपेस्ट के अंदर फ्लोराइड होता है, जिसे खाने से बच्चों को फ्लोरोसिस नाम की बीमारी हो सकती है। एक शोध में ये सामने आया है कि 6 साल के कम उम्र के बच्चों के शरीर में सीधे फ्लोराइड का संपर्क खतरनाक सकता है। इससे बच्चों में कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं।
डॉक्टरों के अनुसार दांतों की सफाई को लिए मटर के दाने जितना टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। टूथपेस्ट का मुख्य उद्देश्य दांतों को फ्लोराइड प्रदान करना और कुछ मामलों में सफेद करना है। फ्लोरोसिस दो रूपों में होता है, जिनमें डेंटल फ्लोरोसिस जोकि खास तौर से बच्चों को प्रभावित करता है। इसमें 6 साल से कम उम्र के बच्चों के दांत पीले पड़ने लग जाते हैं। वहीं, दूसरा है स्केलेटल फ्लोरोसिस, यह शरीर में जोड़ों को प्रभावित करता है। इसमें गर्दन, पीठ, कंधे और घुटने कमजोर हो सकते हैं और हमेशा दर्द बना रह सकता है।
ये हैं फ्लोरोसिस के लक्षण
दांतों का अत्यधिक पीला पड़ना
हाथ और पैर को आगे या पीछे घुमाना
घुटनों के आसपास सूजन
पैर का अंदर या बाहर की ओर झुकना
झुकने या बैठने में परेशानी
कंधे, हाथ और पैर के जोड़ों में दर्द
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