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आप ने मनोज कुमार अभिनीत फिल्म रोटी-कपड़ा और मकान का ये गाना तो सुना होगा ….पंडित जी मेरे मरने केबाद बस इतना कष्ट उठा लेना मेरे मुंह में गंगा जल की जगह थोड़ी मदिरा टपका देना…..। अब आप सोच रहे होंगे की इस गीत का जिक्र क्यों हो रहा है तो हम आप को बता देते हैं कि एक व्यक्ति की अंतिम इच्छा थी कि मरने के बाद अंतिम संस्कार से पहले उनके मुंह में गंगाजल की जगह पर शराब की बूंदें डाली जाए इसलिए बेटों ने भी पिता की इच्छा के अनुसार पिता को मुंह में गंगाजल की जगह शराब की बूंदें डाल दी।
मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले का है। हल्लू सरायं मोहल्ले के रहने वाले गुलाब सिंह शराब पीने के आदी थे। उनकी सुबह भी शराब पीने के बाद शुरू होती थी और रात की नींद भी शराब पीने के बाद आती थी। परिवार वालों ने गुलाब सिंह की शराब छुड़ाने के लिए बहुत जतन किए। डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उन्होंने शराब पीना बंद नहीं किया। थक-हारकर परिजन भी शांत बैठ गए।
आठ मार्च होली वाले दिन अधिक शराब के सेवन से गुलाब सिंह बेहोश हो गए। परिजन आनन-फानन में उनको डॉक्टर के पास ले गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजन अस्पताल से उनका शव घर लेकर चले आए। घर पर उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की जाने लगी। परिजन शव को लेकर गंगा घाट पहुंचे। यहां चिता में आग लगाने से पहले गुलाब सिंह के बेटों ने उनके मुंह में गंगाजल की जगह शराब की बूंदें डालीं। यही नहीं अंतिम शव यात्रा में पहुंचे कुछ लोगों ने भी मृतक को शराब पिलाकर अंतिम विदाई दी। गुलाब सिंह के बेटे बंटी ने कहा कि उनके पिता शराब पीने के आदी थे। उनकी इच्छा थी कि अंतिम संस्कार से पहले उनके मुंह में गंगाजल की जगह पर शराब डाली जाए। उनकी इसी इच्छा का हम पालन किया है।
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