-
Advertisement
हिमाचल में सस्ते नहीं होंगे पेट्रोल-डीजल, सरकार का पेट्रो पदार्थों पर वैट कम करने से इंकार
Last Updated on March 2, 2022 by Vishal Rana
शिमला। हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में पेट्रोल पर वैट (VAT) की दर 17.5 प्रतिशत और डीजल पर 6 प्रतिशत है। प्रदेश सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट कम करने से इंकार किया है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल प्रदेश में सस्ते नहीं होंगे। यह बात आज विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने विधायक रोहित ठाकुर द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में विधानसभा में बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट कम करने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। सीएम ने बताया कि राज्य सरकार ने चार नवंबर 2021 को पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) पर वैट की दर में 7 प्रतिशत प्रति लीटर की कमी की गई। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार को पिछले तीन सालों से पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट से होने वाली आय में बढोतरी दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 19-20 के मुकाबले राज्य सरकार को इस वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा आय प्राप्त हुई है। इस साल पहली फरवरी तक सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट से सरकार ने 1256.88 करोड़ रुपए की आय अर्जित की है। इसी तरह 2020-21 में सरकार को 1098.01 करोड़ रुपए की आय अर्जित हुई है। 2019-20 में 948.61 करोड रुपए का राजस्व जुटाया गया है।
यह भी पढ़ें:Russia-Ukraine War: गैस सिलेंडर के बाद भारत के लोगों को एक और झटका, अब इनके बढ़े दाम
राकेश पठानिया व सुखविंदर सुक्खू के बीच हुई तीखी नोक.झोंक
विधानसभा में बुधवार को भोजनावकाश के बाद वन मंत्री राकेश पठानिया व कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच तीखी नोक.झोंक हुई। इस दौरान कुछ समय के लिए सदन का माहौल गर्मा गया। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार द्वारा शब्दों को कार्रवाई से हटाने की व्यवस्था देने के बाद ही माहौल शांत हुआ। विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंडी.पठानकोट व शिमला.मटौर सड़कों की फाइल वन मंत्रालय में अटके रहने का मामला उठाया। इस दौरान उन्होंने कुछ शब्द कहे।
भोजनावकाश के बाद वन मंत्री राकेश पठानिया ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए सदन में कांग्रेस विधायक द्वारा कहे गए शब्दों को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह राम लीला का मंच नहीं है। चर्चा में भाग लेते हुए सही शब्दों का चयन होना चाहिए। कांग्रेस विधायक द्वारा कहे गए शब्द बर्दाश्त नहीं होंगे। वन मंत्री ने विपक्षी विधायक के खिलाफ अवमानना प्रस्ताव लाने की बात कही। इस पर कांग्रेस की आशा कुमारीए जगत सिंह नेगी व विक्रमादित्य सिंह ने एतराज जताया तथा कहा कि विधायक के खिलाफ अवमानना प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मर्यादा व गरिमा सदन की होती है। सदन की गरिमा बनाना हमारा दायित्व है। हम तथ्यों के साथ चीजें लाएंगे।
तीन सालों में सड़क हादसों में 3174 लोगों की मौत
हिमाचल प्रदेश में बीते तीन सालों में सड़क हादसों में 3174 लोगों की मौत हुई है। दुर्घटनाएं रोकने के लिए सरकार ने पुलिस व परिवहन के माध्यम से आवश्यक कदम उठाए हैं। तीन साल में 4079 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं। इसमें 74 ब्लैक, 1320 संवेदनशील और 2685 संभावित ब्लैक स्पॉट शामिल हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह जानकारी विधायक विधायक जगत सिंह नेगी के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा फंड में 2019-20 में 40 करोड़, 2020-21 में 40.15 करोड़, वर्ष 2021-22 में 50.50 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सरकार ने हादसे रोकने के लिए सड़क सुरक्षा अधिनियम के तहत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
ऊना-हमीरपुर रेललाइन के लिए अभी शुरू नहीं हुआ भूमि अधिग्रहण
हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने बुधवार को भानुपल्ली-बिलासपुर और चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन के लिए भूूमि अधिग्रहण से संबंधित लिखित सवाल विधानसभा में उठाया। लिखित जवाब में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने सदन में अवगत कराया कि भानुपल्ली-बिलासपुर और चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है। तीनों रेलवे लाइनों के निर्माण पर कुल 12,043 करोड़ खर्च होने हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि भानुपल्ली-बिलासपुर रेलवे लाइन पर कुल 6,753 करोड़, चंडीगढ़-बद्दी रेलवेलाइन पर 1540 करोड़ और ऊना-हमीरपुर रेललाइन पर 3750 करोड़ व्यय होने हैं। ऊना-हमीरपुर रेललाइन के लिए अभी भूमि अधिग्रहण शुरू नहीं हुआ है। भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है। चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन में भूमि अधिग्रहण के बाद काम शुरू होगा।
विपक्ष ने उठाया शिमला स्मार्ट सिटी में अनियमितताओं का मामला
हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र की आज पांचवी बैठक हुई। इसमें कांग्रेस विधायकों ने भोजन अवकाश के बाद सदन में शिमला स्मार्ट सिटी (Shimla Smart City) में अनियमितताओं का मामला उठाया। जिस पर जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज (Suresh Bhardwaj) ने कहा कि मार्च के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम दिखना शुरू होगा। सारे टेंडर ऑनलाइन लगाए गए हैं, कोई भी काम नियम तोड़कर नहीं हुआ है। पारदर्शिता से काम हुआ है। कोई गड़बड़ी पाई गई तो जांच भी होगी और कार्रवाई भी।
उन्होंने कहा कि शिमला (Shimla) शहर में जवाहर लाल नेहरू शहरी विकास मिशन में ठीक से काम नहीं हुआ, उस वक्त नगर निगम शिमला पर राकेश सिंघा का कब्जा था। इस मिशन में लापरवाही ना होती तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की भी ज़रूरत नहीं होती। विपक्ष के विधायकों की ओर से रिटेनिंग वॉल पर खर्च के मामले पर कहा कि सड़कों को चौड़ा करने के लिए यह जरूरी है। धर्मशाला और शिमला स्मार्ट सिटी के एक कमांड सेंटर के मामले पर भारद्वाज बोले कि इस सुझाव पर गौर करने को कहा जाएगा। वैसे सचिवालय में शिमला स्मार्ट सिटी का कमांड सेंटर होगा, धर्मशाला में अलग से भवन बनाया जा रहा है। ज्यादातर परिसंपत्तियां बाद में नगर निगम के नियंत्रण में आ जाएंगी।
शिमला और कुल्लू के लिए अम्रुत योजना
भारद्वाज ने कहा कि शिमला और कुल्लू के लिए अम्रुत योजना (Amrut Yojna) आई, जिसमें काफी काम हुए। आज भी जो काम हो रहे हैं, वे स्मार्ट सिटी ही नहींए अम्रुत मिशन के भी हैं। लेकिन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेने का अभियान नहीं छोड़ा। तीसरे राउंड में शिमला को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट मिला। इसमें बहुत से कार्यों को शामिल किया गया। परामर्शक को जहां तक पैसा देने की बात है तो इस प्रोजेक्ट में कोई परामर्शक नहीं है। सारे काम सरकार के विभिन्न विभागों को सौंपे गए हैं। किसी एक विभाग को ही काम नहीं सौंपा गया है। केंद्रीय लोक निर्माण को भी 12 काम दिए गए हैं। वे अपनी ज़मीन पर सुई भी नहीं चुभोने देते हैं, इसलिए जहां उनकी जमीन है। उन्हीं को ये काम दिया गया है। ऊपरी शिमला को जोड़ने वाली ढली की सुरंग को बनाए 170 साल हो गए हैं। वहां एक सामानांतर सुरंग बन रही है।