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हिमाचल में भरमार में मिलने वाले कड़ी पत्ते के लिए दिल्ली में पहले देना पड़ता है पानी, पढ़ें पूरी खबर
नई दिल्ली। हिमाचल (Himachal) में पहाड़ हैं, वादियां हैं और अच्छा पर्यावरण भी है। पानी की भी ऐसी किल्लत नहीं जैसे हाल बड़े-बड़े मेट्रोपोलिटन शहरों (Metro Politen Cities) में है। हालांकि फिर भी हिमाचल में पर्यावरण (Environment) को लेकर कुछ लोग चिंतित नजर नहीं आते। ऐसे में आज एक ऐसी स्टोरी हम आपके लिए लेकर आए हैं, जिसे पढ़कर जरूर आप पर्यावरण को लेकर चिंतित होने लगेंगे। यह दिलचस्प स्टोरी है, कड़ी पत्ता और पानी की। हालांकि हिमाचल (Himachal) के कुछ हिस्सों में पानी की कमी हो सकती है, लेकिन अधिकांश इलाकों में पानी को लेकर हाहाकार मचने जैसी स्थिति नहीं है। इसके अलावा हिमाचल में कड़ी पत्ता भी आसानी से मिल जाता है। इसका खाने में काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। कड़ी पत्ते (Curry Leaves) को मीठा नीम भी कहा जाता है।
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दरअसल, दिल्ली में एक जगह है राजौरी गार्डन। राजौरी गार्डन (Rajouri Garden) इलाके के ग्रीन एमआईजी फ्लैट्स (MIG Flats) में पिछले दिनों एनजीटी के आदेश के बाद पार्क में लगे बोरवेल सील कर दिए गए हैं। इसके बाद पार्क में लगे पौधों के लिए भी पानी की किल्लत हो गई और पार्क में लगे पौधे मुरझाने लगे। इसके बाद यहां के स्थानीय लोगों ने अपने खर्च पर एक पार्क में पानी की टंकी लगवाई। इसके साथ ही घरों की पानी की पाइप को इस टंकी से जोड़ा ताकि घरों से लोग पार्क के लिए पानी दे सकें।
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हालांकि लोगों की यह पहल भी काम करती नजर नहीं आई, लेकिन लोग इस पार्क में लगे पौधे से कड़ी पत्ता लेने जरूर पहुंचते थे। अब यहां के लोगों ने पानी लाओ और कड़ी पत्ता ले जाओ नाम से एक पहल की। इसमें अब किसी भी व्यक्ति को गार्डन में दाखिल भी होना है तो थोड़ा सा पानी अपने साथ बोतल में लाना होगा। इसके अलावा यदि गार्डन से कोई कड़ी पत्ता ले जाना चाहता है तो उसे भी कुछ पानी देना होगा, ताकि थोड़ा-थोड़ा पानी भी जमा हो और उससे पौधों को सींचा जा सके।
हालांकि पानी की किल्लत से यहां के लोग परेशान हैं। लोगों का कहना है कि बोरवेल तो सील कर दिए गए, लेकिन पार्क की सिंचाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने जर भी ध्यान नहीं दिया। आपको बता दे कि एनजीटी के आदेशों के बाद ग्रीन एमआईजी फ्लैट्स के सभी 16 पार्कों में मोटर सील कर दी गई हैं। ऐसे में यहां के कुछ लोगों ने खुद के खर्च पर एक पार्क में पानी की टंकी लगवाई है और लोग अपने घरों से थोड़ा-थोड़ा पानी सप्लाई के वक्त डालते हैं और जो थोड़ा बहुत पानी जमा होता उससे पौधों को सींचते हैं।