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क्या है ग्लोबल टैक्स दर? फेसबुक और गूगल पर क्या होगा इसका असर, भारत का क्या है रूख
Last Updated on November 7, 2021 by saroj patrwal
नई दिल्ली। ग्लोबल टैक्स(Global tax) को ही ग्लोबल डिजिटल टैक्स( Global Digital Tax) और ग्लोबल मिनी टैक्स कहा जाता है। दुनिया भर में इसे साल 2023 से लागू करने की योजना बनाई गई है। जिसे लेकर बीते कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों की तरफ से आम सहमति बनती दिख रही है।
बताया जाता है कि ग्लोबल टैक्स लागू हो जाने के कारण फेसबुक, यूट्यूब और गूगल जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां सिर्फ उन देशों को भी टैक्स का भुगतान करेगी। जहां उनकी सेवाएं काम करती हैं। इस मामले में जी-7 जैसे विकसित देशों ने आखिरकार भारत और अन्य विकासशील देशों की बात मान ली है। हालांकि, ग्लोबल टैक्स को अंतिम रूप देने के लिए बैठकों का दौर जारी है. इसमें टैक्स की अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत तक हो सकती है।
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15 फीसदी टैक्स दर रहने का है अनुमान
दुनिया भर के 130 देशों के बीच वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर 15 फीसदी तय करने पर सहमति बनी है। यह टैक्स कंपनियों के विदेशी लाभ पर होगा। ऐसे में अगर सभी देश वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर पर सहमत होते हैं, तब भी सरकारों द्वारा स्थानीय कॉर्पोरेट कर की दर स्वयं ही निर्धारित की जाएगी। खासबात यह है कि एमएनसी कंपनियों को कम दरों वाले देश में अपने मुनाफे को स्थानांतरित करके कर देनदारी से बचने से रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर जारी प्रयास के बीच 130 से ज्यादा देशों ने कर लगाये जाने का समर्थन किया है। लेकिन चार देश – केन्या, नाइजीरिया, पाकिस्तान और श्रीलंका अभी तक इस समझौते में शामिल नहीं हुए हैं।
फेसबुक और गूगल पर क्या होगा इसका असर
ग्लोबल टैक्स के लागू होने के कारण फेसबुक, गूगल और ऐप्पल जैसी तमाम बड़ी कंपनियों के पर कतरे जाएंगे। वहीं, उन्हें उन देशों में भी भुगतान करना होगा जहां वे सेवाएं प्रदान करते हैं।इसके साथ ही इन कंपनियों ने उन देशों को अपना अड्डा बना लिया है, जहां टैक्स की दर बहुत कम है। भारत विश्व के लिए एक बड़ा बाजार है। भारत सरकार भी बखूबी इस बात को जानती समझती है।