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भगवान शिव को क्यों प्रिय है भस्म, पढ़े भोले के इसे अर्पित करने के फायदे
Last Updated on August 7, 2023 by saroj patrwal
सावन माह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अति उत्तम माना जाता है। शास्तों के अनुसार शिव की विधि विधान के अनुसार पूरा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। शिव भक्तों के लिए शिवजी का हर एक रूप निराला है। जहां सभी देवी-देवता दिव्य आभूषण और वस्त्रादि धारण करते हैं वहीं शिवजी ऐसा कुछ भी धारण नहीं करते, वे शरीर पर भस्म रमाते हैं, उनके आभूषण भी विचित्र है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र है। शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, सन्यासी और अन्य साधु भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शास्त्रों में भी बताया गया है कि महादेव को भस्म बहुत ही प्रिय है इसीलिए वह इसे अपने तन पर धारण किए रहते हैं।
भस्म में मौजूद दो शब्दों में भ का मतलब भत्सर्नम है। इसका मतलब होता है नाश करना और स्म का मतलब है कि पापों का नाश करके भगवान का ध्यान करना। भस्म हमें जीवन की नश्वरता की याद दिलाती रहती है। शिव पुराण में कहा गया है कि भस्म भगवान शिव का ही स्वरूप है और इसे लगाने से कष्टों और पापों का नाश हो जाता है। भस्म को शुभफलदायी बताया गया है।
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शिवजी को भस्म अर्पित करने के फायदे
वैरागी होने की वजह से भगवान शिव भस्म को बहुत ही पसंद करते हैं। भस्म भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार मानी जाती है। मान्यता है कि जो भी भक्त शिव को भस्म चढ़ाता है वह उससे जल्दी प्रसन्न होते हैं और उसके सभी दुखों को हर लेते हैं। माना ये भी जाता है कि भस्न चढ़ाने से संसार की मोह माया से मन मुक्त पा लेता है। भस्म सिर्फ पुरुष ही चढ़ा सकते हैं महिलाओं का शिवलिंग पर भस्म चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है।
क्या कहती है पौराणिक कथा
कहा जाता है कि जब देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ में देह त्याग दी थी उसके बाद भोलेनाथ उनको लेकर तांडव कर रहे थे। इस दौरान उनके वियोग को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को भस्म कर दिया था। उस दौरान शिव से सती का वियोग सहन नहीं हुआ और उन्होंने उसने मृत शरीर की भस्म को अपने तन पर रमा लिया था। माना जाता है कि तब से ही महादेव को भस्म बहुत ही प्रिय है।
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