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स्कूल बस का रंग क्यों होता है पीला, आखिर क्या थे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
स्कूल बसों ( School buses)को आप रोज आते-जाते देखते होंगे। पीले रंग ( Yellow color) की बस स्कूल लगने से पहले और छुट्टी होने के बाद जब सड़कों पर आप देखते हैं तो क्या आप ने कभी इस बात पर गौर किया है कि इन बसों का रंग पीला क्यों होता है। ऐसा नहीं है कि भारत में ही स्कूल बसों का रंग पीला होता है विदेश में भी स्कूल बसें इसी रंग की होती है। यानी सीधे-सीधे कहें तो दुनिया भर में स्कूल बसें पीले रंग की ही होती है। हालांकि कोरोना ( corona) के इस दौर में देश के कई राज्यों में स्कूल बंद होने के कारण बसें सड़कों पर ये बसें कम दिखाई देती है।
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इसके पीछे कारण है रंग की वेवलेंथ ( Color wavelength)। दरअसल लाल रंग ( Red color) की वेवलेंथ सबसे अधिक होती है। लिहाजा इसे सबसे ज्यादा दूर से देखा जा सकता है। इस हिसाब से उसका इस्तेमाल खतरे के संकेत या ट्रैफिक लाइट के रूप में किया जाता है। सात रंगों की शृंखला में पीला रंग लाल रंग से नीचे होता है। इसकी वेवलेंट लाल रंग से कम व ब्लू कलर के अधिक होती है।
लाल रंग सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है, इसलिए खतरे के निशान के रूप में इसका सबसे अधित इस्तेमाल होता है। इसके बाद पीला रंग ही सबसे अधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह ऐसा रंग है जो दूर से ही पहचाना जा सकता है इसलिए पीला रंग स्कूल बसों पर लगाया जाता है। बारिश हो या धुंध या फिर कोहरा पीला रंग दूर से ही नजर आ जाता है। एक और खास बात यह है कि पीले रंग का लैटरल पेरिफेरल विजन ( Lateral peripheral vision) लाल रंग से सवा गुना अधिक होता है। लैटरल पेरिफेरल विजन यानी इस रंग की चीज को किसी भी किनारे से साफ देखा जा सकता है। हादसों से बचने के लिए यह बाद काफी अहम है कि जब भी स्कूल बस सामने आए तो पता चल जाए।
भारत में स्कूल बसों का रंग पीला होने के पीछे सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) का एक फैसला भी था। इसके लिए कोर्ट ने कई निर्देश भी जारी किए थे। चलिए हम आप को उन निर्देशों के बारे में बताते हैं।
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– बसों के आगे- पीछे स्कूल बस लिखना जरूरी होता है।
– स्कूल बस में फर्स्ट एड बॉक्स रखना जरूरी होता है।
– स्कूल बसों की खिड़कियों में ग्रिल लगाना भी जरूरी है। बस में अग्निशमन यंत्र भी होना चाहिए।
– बस के दरवाजे में लॉग लगा होना चाहिए।
– बस पर स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर अंकित होना जरूरी है।
– बच्चों के बैग के लिए सीटों के नीचे एक सुरक्षित जगह होनी चाहिए।
– अगर किसी बस को हायर किया जा रहा है तो उसपर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखना जरूरी है।
– स्कूल बस में एक अटेंडेट होना जरूरी है। बस में स्पीड गवर्नर लगे हो और अधिकतम स्पीड 40 किमा प्रति घंटा होनी चाहिए।
– अगर स्कूल कैब हो तो पीले रंग के साथ 150 एमएम की हरी पट्टी रंगी होनी चाहिए। हरी पट्टी कैब के चारों ओर बीच में हो और उस पर स्कूल कैब लिखा होना चाहिए।
– स्कूली बच्चों की आयु 12 वर्ष के कम हो तो बस की सिटिंग कैपेसिटी से डेढ़ गुना से अधिक बच्चे नहीं बिठाए जाने चाहिए। 12 वर्ष के अधिक आयु के बच्चे को एक व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
– स्कूल बस के चालक के पास कम से कम 4 वर्ष के लिए एलएमवी का ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। चालक को हल्के नीले रंग की ड्रेस व काले जूते पहनने होगे। शर्ट पर चालक का नाम और आईडी लिखा होना चाहिए।
-स्कूल बस में कितने बच्चे जा रहे हैं उनका पूरा ब्योरा चालक के पास होना चाहिए। बच्चों के नाम , कक्षा, घर का पता, ब्लड ग्रुप, चढ़ने-उतरने का स्थान, रूट प्लॉन आदि मौजूद होने चाहिए।
– अगर स्कूल बस तक बच्चे को लेने कोई नहीं आता है तो उस बच्चे के स्कूल लेजाना होगा और उसके घर पर सूचना देनी होगी।
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