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ओमीक्रॉन खतरे के बीच क्या बूस्टर डोज बढ़ाएगी इम्यूनिटी, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
नई दिल्ली। दुनिया भर में बढ़ रहे कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट (Omicron Varrient) के खतरे के बीच अब भारत में भी बूस्टर डोज (Booster Dose) की चर्चा होने लगी है। केंद्र सरकार भी खतरे को भांपते हुए जल्द ही बूस्टर डोज पॉलिसी लाने वाली है। जानकारी सामने आ रही है कि ओमीक्रॉन से संक्रमित होने वालों में वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग भी शामिल है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो चुकी है, उन्हें एक्सट्रा डोज लेनी होगी।
टीकाकरण अभियान पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) की छह दिसंबर को होने वाली बैठक को लेकर खबर आ रही है कि उन्होंने भी बूस्टर डोज को लेकर अतिरिक्त खुराक देने की सलाह दी है। वहीं, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक बूस्टर डोज से अलग होती है।
अधिकारियों ने समझाया कि ऐसे किसी व्यक्ति को एक पूर्वनिर्धारित अवधि के बाद बूस्टर डोज दी जाती है, जब यह माना जाता है कि प्राथमिक टीकाकरण की इम्यून रेस्पॉन्स यानी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी आ गई है। वहीं, एक्सट्रा डोज यानी अतिरिक्त खुराक कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को दी जाती है जब प्राथमिक टीकाकरण संक्रमण और बीमारी से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।
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वहीं, हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ड्रग्स कंट्रोलर से कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ बूस्टर खुराक के रूप में कोविशील्ड के लिए मंजूरी मांगी है। कंपनी के सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) को एक अर्जी देते हुए कहा कि ब्रितानिया हुकूमत ने पहले ही एस्ट्राजेनेका सीएचएडीओएक्स1 एनसीओवी-19 (chadox1 ncov-19) टीके के बूस्टर खुराक को मंजूरी दे दी है। उन्होंने अपने पत्र में भारत सरकार को बताया कि भारत में बनी कोविशील्ड में कोई कमी नहीं है। नये स्वरूपों के सामने आने के मद्देनजर बूस्टर खुराक की मांग उन लोगों के लिए है जो पहले से ही वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं।
कोरोना वैरिएंट के खतरे के बीच भारत में भी बूस्टर डोज लगाए जाने का प्रस्ताव INSACOG ने भी रखा है। टॉप जीनोम साइंटिस्ट ने कहा कि 40 साल से ऊपर के लोगों को बूस्टर डोज लगाए जाए। साइंटिस्ट ने कहा कि बूस्टर डोज के लिए उन्हें फोकस में रखना चाहिए, जिन पर कोरोना का खतरा अधिक है। बता दें कि इंडियन सार्स-कोविड-2 जेनेटिक कंसोर्शियम (INSACOG) के बुलेटिन में बूस्टर डोज की सिफारिश की गई।
वहीं, लोकसभा में कोरोना महामारी की स्थिति पर चर्चा के दौरान सांसदों ने कोविड के टीकों की बूस्टर खुराक की मांग की थी। इसी बीच लैब के वैज्ञानिकों ने यह सिफारिश भी की। बता दें कि INSACOG कोरोना के जीनोम वैरिएशंस की निगरानी के लिए सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि जिनका अभी तक टीककरण नहीं हुआ है, उनका टीकाकरण सबसे पहले किया जाए। उन्होंने बताया कि जिन लोगों का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है, उन लोगों पर कोरोना के इस वैरिएंट का खतरा सबसे ज्यादा है।
इन सबके बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि मौजूदा वैक्सीन वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप पर काम नहीं करते हैं, हालांकि सामने आये कुछ म्यूटेशन टीके की प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं।