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दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में मिले कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन (Omicron)को लेकर नित नई जानकारी सामने आ रही है। ओमिक्रॉन देश में तीसरी लहर ला सकता है क्योंकि इसमें ऐसे बदलाव देखे गए हैं, जो पिछले वेरिएंट में नहीं दिखे थे। रविवार तक देश में ओमिक्रॉन के 5 मामले सामने आ चुके हैं और वैज्ञानिक आशंका जता रहे हैं कि जनवरी के आखिरी सप्ताह या फरवरी की शुरुआत में ओमिक्रॉन का पीक होगा। आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने नए अध्ययन में ऐसा ही दावा किया है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि तीसरी लहर, दूसरी लहर के मुकाबले कम घातक होगी।
एक खबर के अनुसार प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने नए अध्ययन में दावा किया है कि तीसरी लहर, दूसरी लहर की तुलना में कम घातक होगी। उन्होंने अपने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। जाहिर है इससे पहले प्रो. मणींद्र ने ही अपने गणितीय मॉडल के आधार पर ही दूसरी लहर के बाद नए म्यूटेंट के आने से तीसरी लहर की आशंका जताई थी। अब उन्होंने ने दक्षिण अफ्रीका से फैले ओमीक्रॉन वेरिएंट पर स्टडी शुरू कर ताजा निष्कर्ष जारी किए हैं। कई देशों में फैलने के बाद भारत में भी ओमीक्रॉन संक्रमण के मामले मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि जब तीसरी लहर अपने चरम पर होगी, तब रोजाना एक से डेढ़ लाख के बीच संक्रमित मरीजों के मिलने की संभावना है।
प्रो. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर कम देखने को मिलेगा, उनमें लक्षण भी कम नजर आएंगे और वे जल्दी रिकवर हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज जल्दी रिकवर होंगे। उन्हें सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होंगे लेकिन दूसरी लहर की तरह अधिक परेशान नहीं होंगे। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि यह वेरिएंट नेचुरल इम्युनिटी को ज्यादा बाईपास नहीं कर रहा है। जो लोग एक बार कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें अधिक घबराने की जरूरत नहीं है. वे संक्रमण से नहीं बच पाएंगे लेकिन अधिक दिक्कत जैसी स्थिति नहीं होगी। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर से बचने का सबसे अच्छा माध्यम सावधानी बरतना और वैक्सीन है। जिन लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज या अभी पहली ही डोज नहीं लगवाई है, वे तुरंत वैक्सीन लगवा लें। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
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