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हिमाचल में कोरोना के डबल म्यूटेंट वेरिएंट के 16 मामले, इस तरह लगा पता
Last Updated on June 2, 2021 by Sintu Kumar
हिमाचल प्रदेश में कोरोना के डबल म्यूटेंट वेरिएंट ( Double mutant variant) के 16 मामले सामने आए हैं। जीनोम सिक्वेंसिंग( Genome Sequencing) के माध्यम से इसकी पुष्टि हुई है। हिमाचल से जीनोमिक सिक्वेंसिंग के तहत 876 सैंपल दिल्ली भेजे थे, जिनमें से 146 के परिणाम प्राप्त हुए हैं। इन 146 परिणामों में से 64 में किसी भी प्रकार का म्यूटेंट नहीं पाया गया है। 25 सैंपलों में कुछ म्यूटेंट देखे गए हैं। 40 सैंपलों में यूके वेरियंट पॉजिटिव ( UK variant positive)पाए गए हैं जबकि 16 सैंपलों में डबल म्यूटेंट पाया गया है जबकि एक सैंपल को एनसीडीसी ( NCDC) द्वारा खारिज कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ निपुण जिंदल ने इसकी पुष्टि की है।
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देश में वायरल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए देश भर में दस क्षेत्रीय जीनोम सिक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) के साथ भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आइएनएसएसीओजी) का गठन किया गया है। गत एक वर्ष में कोविड-19 वायरस में म्यूटेशन हुआ है और इन प्रयोगशालाओं को वायरस के प्रकारों के अध्ययन के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों के लिए चिन्हित किया गया है। हिमाचल प्रदेश के लिए एनसीडीसी दिल्ली को आरजीएसएल के रूप में चिन्हित किया गया है।चल प्रदेश में जीनोमिक सिक्वेंसिंग के उद्देश्य से दो प्रकार की निगरानी की जा रही है। जिसमें एक होल जीनोमिक सिक्वेंसिंग (डब्ल्यूजीएस) निगरानी है, जिसमें नामित प्रयोगशालाओं को डब्ल्यूजीएस के लिए एनसीडीसी दिल्ली को सैंपल भेजने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि दूसरा प्रकार विशेष निगरानी है, जिसका उद्देश्य मामलों के क्लस्टरिंग, सुपर स्प्रैडर इवेंट, संस्थानों में मामलों की क्लस्टरिंग आदि करके समुदाय में डब्ल्यूजीएस जानकारी एकत्र करना है। कोविड पॉजिटिव मरीजों के सैंपल, जो टीकाकरण की दूसरी खुराक लेने के बाद कोविड-19 से संक्रमित हुए है, उन्हें भी प्राथमिकता दी जाएगी और जिला निगरानी अधिकारियों को ऐसे नमूनों की पहचान कर एनसीडीसी दिल्ली भेजने के लिए कहा गया है।