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पदम की आंखों के सामने घूमता है “कारगिल”
सोलन। 21वां कारगिल विजय दिवस आज है,कई यादें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। कारगिल युद्ध में सही सलामत घर लौटे सैनिक ने उस समय की यादों को ताज़ा करते हुए अपने कई अनुभव साझा किए। हिमाचल के सोलन जिले के अर्की उपमंडल के बपड़ोहन गांव के पदम देव ठाकुर ने 18 ग्रेनेडियर बटालियन के साथ कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया था। सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए पदम देव ठाकुर का कहना है कि कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों की हिम्मत थी जो मातृभूमि की रक्षा के लिए सीने पर गोलियां खाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े थे। इससे दुश्मन के हौसले पस्त हो गए थे। इसी हिम्मत के साथ भारतीय सेना ने 1999 में हुए करगिल युद्ध में जीत दर्ज की थी। 21 साल बाद भी कारगिल युद्ध का मंजर आज भी आंखों के सामने आ जाता है। उनकी बटालियन 18 ग्रनेडियर को युद्ध में एक परमवीर चक्रए दो महावीर चक्रए छह वीर चक्रए एक शौर्य चक्रए एक युद्ध सेवा मेडलए 19 सेना मेडल व युद्ध प्रशंसनीय पत्र मिला था। पदम देव कारगिल युद्ध के समय वह नायब सूबेदार के पद पर थे। 2000 में सूबेदार, 2005 में सूबेदार मेजर जबकि 2009 में सेवानिवृत्ति के दौरान वह ऑननरी कैप्टन बने।