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इस अखाड़े में प्रोफेसर-इंजीनियर-डॉक्टर-वकील हैं संत, बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी
हरिद्वार : कुंभ 2021 (Kumbh 2021) चल रहा है। आज आपको बताते हैं एक ऐसे अखाड़े के बारे में जिसमें प्रोफेसर, डॉक्टर और इंजीनियर तक संत हैं। इस अखाड़े में करीब 100 महामंडलेश्वर और 1100 संन्यासी उच्च शिक्षित हैं। यह अखाड़ा है पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी (Panchayati Akhada Shri Niranjani)। बताया जाता है कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने सबसे पहले उच्च शिक्षितों के लिए अखाड़े (Akhade) के द्वार खोले थे और आज अखाड़ें में कई विद्वान और उच्च शिक्षा (Higher Education) हासिल कर चुके लोग शामिल हैं।
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आपको बता दें कि अखाड़े में 100 महामंडलेश्वर और 1100 संन्यासी (Saint) उच्च शिक्षित हैं। गौर रहे कि कुंभनगरी में सातों शैव अखाड़ों की पेशवाई और पहला शाही स्नान (Shahi Snan Haridwar) भी संपन्न हो चुका है। दरअसल आमतौर पर साधु संतों को लेकर आम धारणा है कि उन्होंने कहीं पहाड़ों में जाकर तपस्या की होगी और वो कम पढ़े लिखे होंगे। यही नहीं, अधिकतर के मन में यही ख्याल रहता है संत सिर्फ संस्कृत और हिंदी (Sanskrit and Hindi) बोलते होंगे, लेकिन पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी (Shri Niranjani) में अधिकांश संत फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। 70 फीसदी संन्यासियों ने उच्च शिक्षा भी प्राप्त हैं।
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अखाड़े के 1500 संन्यासियों में से 1100 संन्यासियों ने स्नात्तक (Graduate) या उससे अधिक शिक्षा ग्रहण की है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि अखाड़े के संत स्वामी आनंदगिरि नेट क्वालिफाइड हैं। आनंदगिरि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, सिडनी यूनिवर्सिटी, आईआईटी खड़गपुर और आईआईएम शिलांग (IIM Shilong) में व्याख्यान दे चुके हैं। अभी बनारस से पीएचडी (PHD) कर रहे हैं। अखाड़े के दूसरे संत महेशानंद गिरि भूगोल के प्रोफेसर (Professor) हैं, जबकि बालकानंद डाक्टर हैं। संत पूर्णानंद वकील और संस्कृत (Sanskrit) के विद्वान हैं। जबकि संत आशुतोष पुरी भी पीएचडी (PHD) कर रहे हैं। अखाड़े का हरिद्वार में संस्कृत स्कूल और कॉलेज भी हैं।
इसके अलावा हरिद्वार और प्रयागराज में पांच स्कूल और कॉलेज भी बनाए जा रहे हैं। शिक्षित संत अखाड़े की शैक्षणिक संस्थानों की व्यवस्था संभालते हैं और छात्रों को पढ़ाते भी हैं। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की स्थापना वर्ष 904 (विक्रम संवत 960) को गुजरात की मांडवी में हुई थी। अखाड़े का मुख्यालय प्रयागराज में है। हरिद्वार, उज्जैजन, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में अखाड़े के आश्रम हैं।