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आसान काम नहीं है रुद्राक्ष धारण करना, इन बातों का रखें ध्यान
हमारे देश में बहुत सारी चीजों को देवी-देवताओं से जोड़ा जाता है। ऐसे ही रुद्राक्ष (Rudraksha) के विभिन्न दानों का संबंध अलग-अलग देवी-देवताओं और मनोकामनाओं से है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर ग्यारह मुखी तक होते हैं। हर रुद्राक्ष को धारण करने की अपनी-अपनी मान्यता होती है।
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कहा जाता है कि भगवान शिव को रुद्राक्ष बहुत प्रिय है और यही कारण है कि भगवान शिव के भक्त हमेशा रुद्राक्ष धारण करते हैं। कहा जाता है कि रुद्राक्ष पहनने से स्मरण शक्ति मजबूत होती है। मान्यता है कि चमत्कारी बीज रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से बना है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष की 108 दानों की माला को धारण करने और जप करने से मनुष्य को भगवान शिव की विशेष कृपा हासिल होती है। हर एक रुद्राक्ष का अपना अलग मतलब होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का साक्षात रूप माना जाता है और इसे धारण करने से भोग और मोक्ष प्रदान होता है। वहीं, दो मुखी रुद्राक्ष देव-देवेश्वर माना जाता है। कहा जाता है कि दो मुख वाला रुद्राक्ष सब की मनोकामनाएं पूरी करता है। इसी तरह तीन मुखी रुद्राक्ष से समस्त विद्या प्राप्त होती हैं। बता दें कि चार मुख वाले रुद्राक्ष को साक्षात् ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है और इसे मोक्ष दिलाने वाला अमृत बीज कहा जाता है। इस रुद्राक्ष के दर्शन से धर्म, अर्थ, मोक्ष और काम की प्राप्ति होती है।
पांच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। ये रुद्राक्ष सभी प्रकार का सामर्थ्य प्रदान करने वाला रुद्राक्ष माना जाता है। यह रुद्राक्ष मोक्ष दिलवाने के लिए जाना जाता है। वहीं, छ: मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने व्यक्ति ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।
सात मुखी रुद्राक्ष के बारे में मान्यता है कि ये रुद्राक्ष भिखारी को भी राजा बना देता है। वहीं, आठ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि यह रुद्राक्ष इंसान को पूर्णायु प्रदान करता है। इसके अलावा नौ मुखी रुद्राक्ष कपिल-मुनि का स्वरूप माना जाता है और दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। वहीं, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष रुद्ररूप माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से इंसान को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
इन बातों का रखें ध्यान
रुद्राक्ष को हमेशा लाल, पीले या सफेद धागे में धारण करें या फिर रुद्राक्ष को सोने, चांदी और तांबे में धारण करें। रुद्राक्ष धारण करते समय ॐ नम: शिवाय का जाप जरुर करें। कभी किसी दूसरे व्यक्ति को अपना रुद्राक्ष धारण करने के लिए ना दें। ध्यान रहे कि कभी भी 27 दानों से कम की रुद्राक्ष माला ना बनवाएं और रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे व अपवित्र होकर ना धारण करें। मान्यता है कि ऐसा करने पर शिव दोष लगता है।