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अब अमेरिका में घूमना और पढ़ाई करना हो गया महंगा
Last Updated on September 23, 2022 by sintu kumar
आयातकों की डॉलर की मांग और अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इसका प्रभाव सीधा भारतीय रुपए (Indian Rupee) पर पड़ा है। आज शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 38 पैसे गिरकर 81.24 के ऑल टाइम लो (All Time Low) पर आ गया है। एशियन करंसी में लंबे समय तक आउटफार्म (OutForm) के बाद वीरवार को भारतीय रुपया एशियन पीर्स (Asian Peers) के मध्य सबसे बड़ा लूजर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार वीरवार को भारतीय रुपया 80.86 पर बंद हुआ था। वहीं आज भारतीय रुपया 81.06 खुला था। ऐसे में रुपए की वीक रेंज 73.61-81-24 रही है। ज्ञात रहे कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज की दरें बढ़ाई थीं। वहीं दूसरी ओर फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दरों को 0.75% बढ़ाकर 3.3.25% कर दिया है। ब्याज की ये दरें महंगाई को नियंत्रण करने के लिए बढ़ाई गई हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिका में 40 वर्ष के रिकॉर्ड स्तर तक महंगाई पहुंच गई है।
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अब रुपए में गिरावट दर्ज की गई तो इसका प्रभाव अमेरिका (America) में घूमने और पढ़ने पर पड़ेगा। साफ जाहिर है कि अब अमेरिका में घूमना और पढ़ना (Study) महंगा होने वाला है। इसको इस तरीके से समझिए। मान लो जब डॉलर के मुकाबले में रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में एक डॉलर मिल जाता था। अब इसके बाद छात्रों को एक डॉलर के लिए 81 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। अब फीस से लेकर खाने और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी। यदि डॉलर के मुकाबले में जब अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का टूटना या कमजोर होना कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिसिएशन (Currency Depreciation) कहा जाता है। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता हैए जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है। अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलरए अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगाए बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।