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हिमाचल हाईकोर्ट ने टूटीकंडी पार्किंग से टूरिस्ट बसों को हटाने के आदेशों पर लगाई रोक
Last Updated on February 9, 2023 by saroj patrwal
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने टूटीकंडी पार्किंग (Tutikandi Parking) से टूरिस्ट बसों को हटाने के आदेशों के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायाधीश सुशील कुकरेजा ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को नियमों का पालन करना होगा। मामले की सुनवाई शीतकालीन छुट्टियों के बाद होगी। अदालत को बताया गया कि हिमाचल पथ परिवहन (HRTC) की ओर से 27 दिसंबरए 2022 को इस संबंध में शिकायत की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आरोपी निजी वोल्वो बसों को पार्किंग में खड़ी करने की अनुमति दे रहा है। इस पार्किंग से ये बसें अवैध तरीके से चलाई जा रही है। साथ ही इन बसों में यात्रा करने के लिए बुकिंग कार्यालय भी खोला गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि न तो वह निजी वोल्वो बसों (Private Volvo Buse) को खड़ी करने की अनुमति दे रहा है और ना ही इन्हें अवैध तरीके ले चलाने में उसका कोई हस्तक्षेप है। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद टूटीकंडी पार्किंग से पर्यटन बसों को हटाने के आदेशों पर रोक लगा दी।
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याचिकाकर्ता जीवन सिंह वर्मा को नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) ने पार्किंग से निजी बसों को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश दिए थे। निगम ने स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता अगर ऐसा नहीं करता है तो उस स्थिति में याचिकाकर्ता और निगम के बीच हुए करार को रद्द कर दिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण यह आदेश पारित किए गए है। दलील दी गई कि 19 जनवरी 2021 को याचिकाकर्ता ने नगर निगम शिमला के साथ पार्किंग को चलाने के लिए करार किया और 1.8 करोड़ रुपये की राशि जमा करवाई।
करार के मुताबिक याचिकाकर्ता को दस साल के लिए पार्किंग का संचालन दिया गया। याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि निगम ने टूटिकंडी पार्किंग कॉम्लेक्स में 14 कमरो का होटल चलाने की अनुमति भी दी है। दलील दी गई कि पर्यटक (Tourists) इन बसों के जरिये होटल तक आते है और अपनी बस पार्किंग में ही खड़ी करते है। पर्यटन बसे अवैध तरीके से चल रही है या वैध, इस बारे याचिकाकर्ता का कोई हस्तक्षेप नहीं है। इनका संचालन रोकना प्रशासन का कार्य है। आरोप लगाया गया कि इस तरह के आदेशों से निगम याचिकाकर्ता के सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।