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TGT को बड़ी राहत, 2003 से वरिष्ठता सहित अन्य लाभ जारी करने के आदेश
High Court On TGT : हाईकोर्ट (High Court) ने वर्ष 2009 में नियुक्त टीजीटी अध्यापकों की नियुक्ति (Appointment of TGT teachers) 1 मई 2003 से मानते हुए उन्हें तुरंत प्रभाव से वरिष्ठता सहित अन्य लाभ (Other benefits including seniority) जारी करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता सतीश कुमार व अन्यों द्वारा दायर अनुपालना याचिका (compliance petition) की सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक की रिपोर्ट पर हैरानी
गुरूवार को कोर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक (Director of Elementary Education) की रिपोर्ट पर हैरानी जताते हुए कहा कि कोर्ट यह समझने में विफल है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में दायर मामले से जुड़ी एसएलपी (SLP) संख्या 22215/22 में कोई स्थगन आदेश हासिल किए बिना, हाईकोर्ट द्वारा सीडब्ल्यूपीओए संख्या 3435/2020 में पारित फैसले के कार्यान्वयन को कैसे रोक सकती है। कोर्ट ने कहा कि सरकार यह दलील भी कैसे दे सकती है कि वह 2002 में चयनित प्रार्थीयों सहित अन्य अध्यापकों की वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप देने में असमर्थ हैं।
सात साल तक लटकाई रखी नियुक्तियां
कोर्ट ने सीडब्ल्यूपीओए नंबर (CWPOA number) 3435/2020 में पारित आदेशों को तुरंत लागू करने और 23 अगस्त तक अनुपालना रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए। मामले के अनुसार शिक्षा विभाग ने 18 जून 2002 को अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड हमीरपुर को टीजीटी के सभी संकायों के पदों को भरने हेतु एक मांग पत्र जारी किया। इस पर बोर्ड ने 26 सितम्बर 2002 को परीक्षा आयोजित की और परिणाम 30 अक्तूबर 2002 को जारी कर दिया गया। शिक्षा विभाग (Education Department) ने बिना कारण चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्तियों को करीब 7 सालों तक लटकाया और फिर 24 अगस्त 2009 को उन्हे नियुक्तियां दे दी गई। यह नियुक्तियां नियमित न देते हुए अनुबंध आधार पर दी गई। कुछ शिक्षकों ने शिक्षा विभाग की इस कार्यवायी के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हे नियमित नियुक्त मानते हुए सभी सेवा लाभ दिए जाने की मांग की। हाईकोर्ट (High court) ने उनकी मांग स्वीकारते हुए उन्हें अनुबंध की बजाए नियमित नियुक्ति देने के आदेश जारी किए। इसके बाद शिक्षा विभाग ने 8 जनवरी 2018 को टीजीटी मेडिकल और नॉन मेडिकल की वरिष्ठता सूची जारी की।
यह सभी टीजीटी अध्यापकों (TGT Teachers) के केडर की पूरी सूची नहीं थी। इनमें प्रार्थियोँ के कनिष्ठों को उनसे वरिष्ठ दर्शाया गया था। प्रार्थियों ने इस वरीयता सूची को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उन्हें बैक डेट से रेगुलर मानते हुए उक्त वरिष्ठता सूची को पुनः जारी करने की मांग की थी। हाईकोर्ट (High Court) ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा था कि सरकार ने मनमाने ढंग से प्रार्थियों को 2002 में सफल होने के बावजूद समय पर नियुक्तियां नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि सफल उम्मीदवारों की नियुक्तियां किसी अपरिहार्य कारणों से ज्यादा से ज्यादा 6 महीनों तक टालना ही तर्कसंगत हो सकता है। इस मामले में जब प्रार्थियों के चयन का परिणाम 30 अक्तूबर 2002 को जारी हो गया था तो उन्हें अधिकतम 1 मई 2003 से पहले नियुक्तियां दे दी जानी चाहिए थी।