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Dalai Lama के उत्तराधिकारी को लेकर China की बड़ी तैयारी,रिपोर्ट कर रही खुलासा
China’s Big Preparations For The Successor of 14th Dalai Lama : तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी (The Successor of 14th Dalai Lama) चुने जाने को लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है,लेकिन इस बीच अब चीन ने अब इन तैयारियों को तेज कर दिया है। इस बात के संकेत उससे मिलते हैं जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के राजनीतिक विंग के प्रमुख वांग हुनिंग (Wang Huning) ने हाल ही में तिब्बती बौद्ध गुरुओं के पुनर्जन्म (Reincarnation of Tibetan Buddhist Gurus) के बारे में एक प्रदर्शनी में हिस्सा लिया। इसे तिब्बतियों के लिए 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी से जुड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है। 14वें दलाई लामा 89 के हो चुके हैं,ऐसे में उनकी बढ़ती उम्र को लेकर भी तरह-तरह की कायसबाजियां लगाई जाती हैं। ये अलग बात है कि 14वें दलाई लामा अपने अनुयायियों को आश्वस्त करते आ रहे हैं कि वे स्वस्थ हैं और अभी लंबा जियेंगे।
90 वें जन्मदिन से पहले उत्तराधिकारी पर फैसला
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में शीर्ष सलाहकार निकाय,चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस के अध्यक्ष वांग हुनिंग को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) का करीबी माना जाता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक वांग की ये यात्रा इस बात के संकेत हैं कि चीनी, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन से पहले उनके उत्तराधिकारी के मसले पर कुछ बड़ा (China’s Big Preparations) करने की तैयारी में हैं। दलाई लामा का जन्म दिवस 6 जुलाई 2025 को आएगा।
निर्वासन के बाद से हिमाचल के मैक्लोडगंज में रह रहे
दलाई लामा तिब्बत और उसके बौद्ध मूल के निवासियों के धार्मिक और राजनीतिक नेता (Religious And Political Leader of Tibet) माने जाते हैं। दलाई लामा की संस्था केवल उत्तराधिकारी ही नहीं बल्कि पुनर्जन्म भी देखती है। कहा जाता है कि मौजूदा दलाई लामा से पहले अगले दलाई लामा का जन्म होता है। वर्तमान में जो 14वें दलाई लामा (14th Dalai Lama) हैं उनका नाम ल्हामो थोंडुप है। वह 1959 में निर्वासन में आने के बाद से भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित मैक्लोड़गंज (McLeodganj in Dharamshala, Himachal Pradesh) में अपने अस्थायी निवास स्थान में रहते हैं। वहीं से तिब्बती निर्वासित सरकार (Tibetan Government in Exile) का भी संचालन होता है। लेकिन उसमें दलाई लामा का किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उसका चयन लोकतांत्रिक तरीके से हर पांच वर्ष के बाद किया जाता है।
केंद्रीय सरकारी संस्थानों के भीतर व्यापक तैयारी
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी शासन के प्रमुख राजनीतिक सिद्धांतकार के रूप में वांग बार-बार चीन में जातीय अल्पसंख्यकों पर पश्चिमी आरोपों का मुकाबला करने और बीजिंग की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए सैद्धांतिक रूपरेखा विकसित करने के प्रभारी रहे हैं। हांगकांग साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में चीन के जातीय अल्पसंख्यकों के विशेषज्ञ सौतमान ने अखबार को बताया कि चूंकि सीटीआरसी तिब्बती अध्ययन के लिए चीन का सबसे बड़ा संस्थान (CTRC Is China’s Largest Institute For Tibetan Studies) है और वांग एक सामाजिक वैज्ञानिक हैं,इसलिए उनकी यात्रा का उद्देश्य केंद्र के नवीनतम शोध से परिचित होना हो सकता है। सौतमान ने आगे बताया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मसले से निपटने के लिए तिब्बत से संबंधित केंद्रीय सरकारी संस्थानों के भीतर व्यापक तैयारी चल रही है।
-राहुल कुमार