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दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां, स्थानीय भाषा को पढ़ाई में उसका ज्ञान होना जरूरी बनाया हुआ है। उसी पैर्टन पर अब भारत में भी इंजीनियरिंग (Engineering)की पढ़ाई में इसे अमल में लाया जा रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE)ने नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी समेत आठ भाषाओं (Eight Languages including Hindi)में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को मंजूरी दी है। हिंदी के अलावा तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड, मलयालम, मराठी व बंगाली को मंजूरी दी गई है।
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो अनिल सहस्रबुद्धे (Prof. Anil Sahasrabuddhe)का कहना है कि वर्तमान में लिया गया फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की एक पहल है। उनका कहना है कि अभी ये फैसला आठ भाषाओं के लिए किया गया है लेकिन भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई 11 भाषाओं में कराई जाएगी। अब तक 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों (Engineering Colleges)ने हिंदी समेत पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की अनुमति मांगी है।
भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई (Engineering Studies)को अंग्रेजी में कराया जाता रहा है। लेकिन एआईसीटीई के नए फैसले के बाद इसमें कई रूप से बदलाव आएगा। इससे ना सिर्फ क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) को बढ़ोतरी मिलेगी बल्कि हिंदी भी और अधिक समृद्ध होगी। जो पहल भारत में अब की जा रही है दुनिया के कई देशों में ये पहले से मौजूद है। चीन, जर्मनी, जापान, रूस व समेत कई देश ऐसे हैं, जहां पर किसी भी कोर्स को करने के लिए पहले वहां की भाषा सीखनी जरूरी होती है। इन देशों में इनकी ही भाषा में पढ़ाई की जाती है।
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