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Himachal में सीटू का प्रदर्शन, मजदूरों की मांगों को लेकर भेजे ज्ञापन
शिमला। देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू ने हिमाचल (Himachal) के जिला, ब्लॉक मुख्यालयों, कार्यस्थलों आदि पर मजदूरों की मांगों को लेकर धरने-प्रदर्शन किए गए। इस दौरान प्रदेश भर में हजारों मजदूरों ने अलग-अलग जगह कोवि (Covid) नियमों का पालन करते हुए प्रदर्शन किए। इस दौरान प्रदेश भर में विभिन्न अधिकारियों के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को ज्ञापन भेजे और मजदूरों की मांगों को पूर्ण करने की मांग की गई। इस दौरान शिमला में श्रम आयुक्त कार्यालय पर मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन को सीटू (CITU) नेताओं ने संबोधित किया व डेढ़ साल के लंबित वेतन को जारी करने की मांग की। उन्होंने ईपीएफ कमिश्नर के आदेशों को लागू करने की मांग की। उन्होंने श्रम विभाग में हुए समझौते को लागू करने की मांग की अन्यथा आंदोलन तेज होगा।
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सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कोरोना से जान गंवाने वालों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिशा-निर्देशनुसार आपदा राहत कोष से तुरंत चार लाख रुपये जारी करने की मांग की है। उन्होंने सभी आयकर मुक्त परिवारों को 7,500 रुपये की आर्थिक मदद व प्रति व्यक्ति दस किलो राशन की व्यवस्था करने की मांग की है, ताकि कोरोना (Corona) महामारी से बेरोजगार हुए लोगों का जीवन यापन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में केंद्र व प्रदेश सरकारें मजदूरों, किसानों, खेतिहर मजदूरों व तमाम मेहनतकश जनता की रक्षा करने में पूर्णतः विफल रही हैं। उन्होंने केवल पूंजीपतियों की धन दौलत संपदा को बढ़ाने के लिए ही कार्य किया है। कोरोना काल में 97 प्रतिशत लोगों की आय पहले की तुलना में कम हुई है, जबकि पूंजीपतियों की आय कई गुणा बढ़ गई है।
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कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है। यह सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पूर्णतः विफल रही है। कोरोना महामारी की आपदा में भी केंद्र सरकार (Central Government) ने केवल पूंजीपतियों के हितों की रखवाली की है। सरकार का रवैया इतना संवेदनहीन रहा है कि यह सरकार सबको अनिवार्य रूप से मुफ्त कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। कोरोना काल में लगभग चौदह करोड़ मजदूर अपनी नौकरियों से वंचित हो चुके हैं, परन्तु सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए गए। हिमाचल प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया। उन्होंने मांग की है कि मनरेगा में हर हाल में दो सौ दिन का रोजगार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन (Minimum Daily Wage) लागू किया जाए। हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड से पंजीकृत सभी मनरेगा व निर्माण मजदूरों को 6 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद सुनिश्चित की जाए।
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