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इस स्कूल का हर एक बच्चा वैज्ञानिक, कूड़ेदानों में भी लगे हैं सेंसर
जयपुर। किसी ने ठीक ही कहा है, इस संसार में गुरु से बड़ा कोई नहीं। गुरु चाहे तो अपने ज्ञान से पत्थर को भी बोलना सीखा दे। कुछ ऐसा ही राजस्थान (Rajasthan) के एक स्कूल में, जहां कूड़ेदान (dustbin) भी आपको अलर्ट होना का संदेश देते हैं। इन्हें किसी कंपनी या वैज्ञानिक ने नहीं बनाया, बल्कि इसी स्कूल के बच्चों और शिक्षकों ने मिलकर बनाया है। हम बात कर रहे हैं चितौड़गढ़ जिला के निम्बाहेडा शहर के मारजीवी गांव के स्कूल की।
यहां के बच्चे विज्ञान की हर विद्याओं से वाकिफ है़। स्कूल के कूड़ेदानों में सेंसर लगे हैं और इन बच्चों को ड्रोन (drone) विमानों को असेंबल करने की महारत भी हासिल है। बच्चों ने यह सब अपने स्थानीय शिक्षकों और यू-टयूब चैनल की मदद से सीखा है। मारजीवी सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल की प्रधानाचार्य (principal) कविता फडणवीस को राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं और वह आईसीटी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता के अलावा अमरीका में शिक्षक आदान प्रदान कार्यक्रम में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
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वहीं, इस स्कूल ने दो बार राज्य स्तर पर बेहतर स्कूल का अवार्ड जीता है। संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने भी यहां का दौरा किया था। आपको बात दें कि यह ऐसा स्कूल है, जिसने 2010 में ही वर्चुअल क्लासरूम (classroom) की शुरुआत कर दी थी और कक्षा एक के छात्रों के लिए विज्ञान मेलों को आयोजित कर रहा है। प्रधानाचार्य कविता ने बताया कि शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत हमने अपने शिक्षण तरीके के बारे में अमरीकी शिक्षकों को अवगत कराया और हमने उन्हें यह भी पढ़ाया कि किस तरह से हमारे भारतीय छात्र वैदिक गणित की तकनीकों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
शुरू में उन्हें यह काफी कठिन और अविसवसनीय लगाए, लेकिन बाद में उन्होंने वैदिक गणित की तारीफ की। स्कूल के भूगोल के शिक्षक कालूराम ने बताया कि स्कूल (school) में किसी तरह की खराबी को दूर करने के लिए प्लंबर या मैकेनिक को कभी भी नहीं बुलाया जाता है और छात्र तथा शिक्षक मिलकर इन समस्याओं को दूर कर देते हैं। स्कूल में एक संसद भी चलाई जाती है जहां एक छात्र प्रधानमंत्री के रूप में अपने हर मंत्री की मांग को सुनता है और एक छात्र शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्हें सभी विकासात्मक कार्यक्रमों और चुनौतियों से अवगत कराता है।