-
Advertisement
वाह ! शराबियों ने क्यार खड्ड में बोतलों की गंदगी फैलाई, उपप्रधान ने उसी से बहार लाई
शिमला। वेस्ट यानी कूड़ा (Litter) एक गंभीर समस्या है। इससे भी बड़ी समस्या है जो लोग खुले में शराब पीकर बोतलों को इधर-उधर फेंक देते हैं। अकसर खड्डों और नालों में शराब की बोतलों देखने को मिल जाएंगे। हालांकि आपने सोशल मीडिया और कुछ हाई-फाई बीयर बार में शराब और बीयर की खाली बोतलों से आर्ट डेकोरेशन (Art Decoration From Bottles) देखा होगा, लेकिन ग्राम पंचायत क्यार (Gram Panchayat Kyar) के उपप्रधान नरेश शर्मा ने एक पंथ दो काज करते हुए सफाई अभियान भी कर दिया और बागीचे के लिए भी इस्तेमाल कर दिया।
यह भी पढ़ें: फूलों के उत्पादन पर 85 प्रतिशत का अनुदान, सालाना कमाई 5 से 7 लाख
दरअसल, क्यार ग्राम पंचायत उपप्रधान नरेश शर्मा (Naresh Sharma) ने को बागीचे के लिए कुछ बोतलें चाहिए थीं। उपप्रधान नरेश शर्मा ने इसके लिए क्यार खड्ड में शराबियों द्वारा फेंकी गई बोतलों का सहारा लिया। उनके इस कार्य से क्यार खड्ड से गंदगी हटाने में सहयोग भी हो गया और यह कचरा उनके बागीचे (Garden) के काम भी आ गया। अब जो लोग बागीचों का गणित नहीं समझते उन्हें बता दें कि सेब बागीचों में बोतलों का काफी ज्यादा काम होता है।
इस काम आई बोतलें
ग्राम पंचायत क्यार के उपप्रधान नरेश ने खाली बोतलों में पानी भरकर सेब के फूले पेड़ों में समर क्वीन, गेल गाला, टाइडमैन किस्मों से फूली डंडियां निकालकर इन्हें भरकर लटका दिया। इससे सेब के फलों को उगाने के लिए फूलों पर परागण होता है। मधुमक्खियां, सिरफिड मक्खियां इन्हीं फूलों पर बैठकर परागण का काम करती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि सेब की रेड डिलिशियस या कई अन्य वांछित किस्मों को फल उगाने के लिए परागण की जरूरत होती है। सेब इन किस्मों को पराग पोलिनाइज़र किस्मों का चाहिए होता है। पोलिनाइज़र किस्में बगीचे में कम हों तो यह बोतल विधि अपनाई जाती है। पोलिनाइज़र किस्म की फूल सहित डंडी काटकर बोतल को पानी से भर दिया जाता है। बोतल रेड डिलिशयस किस्म के पेड़ में लटकाई जाती हैं। पानी इसलिए भरते हैं ताकि फूल ताज़ा रहें। इसके बाद मधुमक्खी, सिरफिड मक्खी इन कटे फूल पर बैठत हैं और फिर अन्य फूलों पर। उसके पंजों में चिपका महीन परागकण परागण कर देगा। परागण करने वाले मक्खी-कीट ही सेब उगाते हैं।
क्यार खड्ड का भी पानी पीता है शिमला
अब बात करते हैं सफाई की। यह बात सिर्फ क्यार खड्ड की नहीं है। हिमाचल हर खड्ड और नालों में इसी तरह के हालात हैं। लोग अकसर शराब का सेवन करने बाद बोतलों और अन्य गंदगी को अपने साथ ही ले जाने की जगह वहीं फेंक देते हैं। धीरे गंदगी बढ़ती जाती है। आपको बता दें कि जिस क्यार खड्ड से क्यार के उपप्रधान ने बोतलें उठाईं वहीं खड्ड आगे जाकर गिरि नदी में गिरती है और गिरी नदी से ही शिमला शहर को भी पानी आता है। गिरि नदी आगे जाकर यमुना में मिलती है और यमुना आगे गंगा में मिलती है।