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लोगों की मुसीबत बढ़ा रहा गूगल क्रोम अपडेट, हैकर्स मांग रहे फिरौती
ये सब जानते हैं कि जब भी किसी डिवाइस का अपडेट आता है तो इसका मतलब है कि वो पहले से बेहतर होता है। यानी कंप्यूटर, स्मार्टफोन और दूसरे डिवाइस ये अपडेट सिक्योरिटी लेवल अपडेट होता है। हालांकि, गूगल के क्रोम ब्राउजर (Chrome Browser) का अपडेट लोगों को मुसीबतें बढ़ा रहा है।
बता दें कि कंप्यूटर, स्मार्टफोन और दूसरे डिवाइस ये अपडेट सिक्योरिटी लेवल अपडेट होता है। इस अपडेट के दौरान डिवाइस से बग को फिक्स कर दिया जाता है, जिससे कि वायरस और मैलवेयर अटैक (Malware Attack) का खतरा कम हो जाता है। हालांकि, गूगल क्रोम में अपडेट के बाद सिस्टम में एक रैंसमेयर आ रहा है, जो कि यूजर के डेटा को नुकसान पहुंचा रहा है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट एज (Microsoft Edge) और गूगल क्रोम के अपडेट के बाद सिस्टम में मैग्नीबर रैंसमवेयर (Magniber Ransomware) आ रहा है। ऐसे में इन दोनों ब्राउजर पर अगर अपडेट दिखाई देता है तो तब उसे बिल्कुल भी अपडेट ना करें। इनके अपडेट के बाद आपके सिस्टम में मैग्नीबर रैंसमवेयर आ सकता है, जिससे हैकर्स आपके डेटा को चुराकर ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) कर सकते हैं।
ये होता है माइक्रोसॉफ्ट एज
माइक्रोसॉफ्ट एज माइक्रोसॉफ्ट कंपनी द्वारा बनाया गया एक फ्री वेब ब्राउजर है। वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर होता है जिसकी मदद से हम वेब सर्फिंग कर सकते हैं यानी माइक्रोसॉफ्ट वेब ब्राउजर एक ऐसा वेब ब्राउजर है, जिसकी मदद से हम इंटरनेट का इस्तेमाल अपने फोन या कंप्यूटर पर कर सकते हैं।
ये होता है मैग्नीबर रैंसमवेयर
मैग्नीबर रैंसमवेयर आपके सिस्टम को खराब कर सकता है। जब यूजर क्रोम और एज ब्राउजर पर काम करता है तब मैलवेयर नकली वेब पेज के द्वारा फैलाया जाता है। मैग्नीबर रैंसमवेयर टोर ब्राउजर डाउनलोड करने के लिए भी कहता है। मैग्नीबर रैंसमवेयर क्रोम या एज अपडेट होने पर सिस्टम में आ जाएगा और फिर ये .appx ब्राउजर एक्सटेंशन को डाउनलोड करेगा। इसके साथ ही बैकग्राउंड में एक्टिव होकर फाइल का बैकअप बनाएगा और यूजर के लिए फाइल का एक्सेस खत्म कर देगा। इसके बाद फिर से एक्सेस के लिए हैकर्स आपसे फिरौती मांगेगे।
ये होता है नुकसान
बता दें कि जब एक बार यूजर अपडेट एज या अपडेट क्रोम बटन पर क्लिक करता है तो एक एक्सटेंशन बैकग्राउंड में एक्टिव हो जाता है। जिसके बाद यूजर के सिस्टम की विंडोज की फाइल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जिस बारे में यूजर को कोई जानकारी भी नहीं होती है। ये सिस्टम में मौजूद सभी फाइल्स का एन्क्रिप्शन शुरू कर देता है और जब एन्क्रिप्शन प्रोसेस खत्म हो जाता है, तब यूजर सिस्टम की कोई भी फाइल ओपन नहीं कर पाता। जिसके बाद हैकर्स यूजर्स को फिरौती का नोटपैड भेजते हैं। इस दौरान जब यूजर उसको पेमेंट करेंगे तब भी वापस फाइल का एक्सेस मिलता है।
ऐसे करें मैग्नीबर रैंसमवेयर से बचाव
मैग्नीबर रैंसमवेयर से बचने के लिए यूजर अपने क्रोम ब्राउजर या एज ब्राउजर को फिलहाल अपडेट ना करें। अगर ये ऑटोमेटिक अपडेट होता है तब घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि, मैनुअल अपडेट करने से नुकसान हो सकता है। मैनुअल डाउनलोड में हैकर्स आपको फेक पेज पर ले जा सकते हैं। वहीं, यूजर अपने डेटा का बैकअप क्लाउड स्टोरेज या फिजिकल एक्सटर्नल स्टोरेज हार्ड ड्राइव में जरूर रखें। वहीं, अगर किसी कारण कंप्यूटर इन्फेक्टेड हो जाता है तो अपने सिस्टम को रिसेट जरूर करें। इसके अलावा अपने सिस्टम में एक एंटीवायरस का इस्तेमाल जरूर करें और उसे समय-समय पर अपडेट करते रहें। हालांकि, सिस्टम अपडेट करने के लिए फ्री एंटीवायरस की जगह पेड वर्जन का ही इस्तेमाल करें।