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क्या आपने कभी सोचा कि आखिर नजर दोष क्या है,अंधविश्वास या फिर इसमें कोई वैज्ञानिक लॉजिक (Scientific Logic) है। अक्सर आपने देखा होगा कि जब भी कुछ बुरा होने लगता है तो यही कहा जाता है कि किसी की नजर लग गई,इसलिए ही ऐसा हो रहा है। घर पर बच्चा ज्यादा रोना शुरू कर दे तो कहते हैं कि नजर उतारों। बहुत से लोग इसे एक अंधविश्वास (Superstition) मानकर छोड़ देते हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे सही मानते हैं और कई तरह के टोटके अपनाते हैं। इन सभी बातों में हमारा सवाल अधूरा ही रह जाता है कि आखिर अंधविश्वास नाम की कोई चीज है भी या नही। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ये नजरदोष।
नजर को ही एक प्रकार का दोष माना जाता है। लोग ईर्ष्या या जलन के चलते अक्सर ऐसा करते हैं, जब किसी व्यक्ति की अच्छाई, संपन्नता, सफलता को देखकर किसी दूसरे व्यक्ति को जलन होती है तो इसे नजर लगना कहा जाता है। कभी-कभार इनका प्रभाव कुछ ज्यादा नहीं होता, लेकिन कभी ये इंसान की पूरी जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित कर देती है। जब बिना किसी ठोस वजह के किसी हंसते-खेलते परिवार, इंसान,बच्चे के बर्ताव में रातों-रात परिवर्तन आए तो समझ लें कि कोई ना कोई गड़बड़ तो जरूर है। ये बात मान्यताओं (Beliefs) के आधार पर कह जाती है, लेकिन विज्ञान क्या कहता है ये जानना भी जरूरी है।
वैज्ञानिक (Scientists) नजर लगने वाली बात को एक सिरे से खारिज करते हैं। विज्ञान कहता है कि हमारी आंखों से कुछ ऐसी तरंगे निकलती हैं जो सामने वाली वस्तु या व्यक्ति पर नकारात्मक और सकारात्मक (Negative and Positive Effects) प्रभाव डालती है। जब ये तरंगे ज्यादा तेज होती है तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इंसान के दिमाग (Human Mind) की उपज माने जाने वाली यह चीज भले ही आस्था हो या अंधविश्वास लेकिन सदियों से इंसान जूझता आ रहा है। यानी मान्यताओं के अनुसार नजर लगती है,लेकिन विज्ञान इसे नकारता है।
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