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हिमाचल हाईकोर्ट ने अदालत में तर्कहीन याचिका दायर करने पर लगाई 50 हजार की कॉस्ट
Last Updated on May 10, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने नगर पंचायत बंजार की ओर से तर्कहीन याचिका दायर करने और अदालत (Court) का समय बर्बाद करने पर पचास हजार रुपए की कॉस्ट लगाईं है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान औऱ न्यायाधीश सीबी बारोवलिया की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता प्रभु दयाल के खिलाफ विभागीय कार्यवाही छह माह में पूरी करने के आदेश जारी किए है। जांच रिपोर्ट अदालत के समक्ष दाखिल करने के भी आदेश दिए है। याचिकाकर्ता सरकारी कर्मी होने के कारण नगर पंचायत बंजार की ओर से याचिका दाखिल करने के लिए सक्षम नही था। इस कारण हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ यह कठोर आदेश पारित किए।
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याचिकाकर्ता ने बंजार के प्रसिद्ध देवता श्रृंगा ऋषि के मेले (famous Shringa Rishi Fair) का आयोजन नगर पंचायत बंजार की ओर से करवाने के लिए हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि वर्ष 2010 में राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के तहत सभी जिला स्तरीय मेलों और त्यौहारों का आयोजन स्थानीय निकायों द्वारा किया जाना अधिसूचित किया गया है। लेकिन वर्ष 2013 से 2019 तक इस मेले का आयोजन पंचायत समिति की ओर से किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि डीसी कुल्लू को देवता श्रृंगा ऋषि के मेले का आयोजन पंचायत समिति की ओर से किये जाने से रोका जाए। बंजार के प्रसिद्ध देवता श्रृंगा ऋषि का जिला स्तरीय मेले का आयोजन 15 मई से 20 मई तक किया जाना है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला शहर में पानी वितरण को लेकर जल प्रबंधन से मांगे सुझाव
हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला शहर (Shimla City) में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से किये जाने बारे जल प्रबंधन बोर्ड (Water Management Board) से सुझाव मांगे है। पानी की किल्लत को लेकर दायर मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार तक अपने सुझाव अदालत के समक्ष पेश करने को कहा है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने स्थानीय निवासी अधिवक्ता विजय अरोड़ा द्वारा जनहित में दायर इस याचिका को आज यानी मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया।
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शिमला जल प्रबंधन बोर्ड की ओर से अदालत (Court) को बताया गया कि पिछले दिनों गुम्मा में बिजली की सप्लाई ठप्प रहने से पानी की आपूर्ति बाध्य रही। अदालत को बताया गया कि शिमला जल प्रबंधन बोर्ड ने बिजली बोर्ड के पास नए ट्रांसफार्म के लिए पैसे जमा करवा रखे हैं लेकिन अभी तक बिजली बोर्ड ने नया ट्रांसफार्म नहीं लगाया है। अदालत ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिवादी बनाया। अदालत को यह भी अवगत करवाया गया कि गुम्मा से कोटखाई तक हो रही अवैध डंपिंग से प्राकृतिक स्रोत सूखने की कागार पर है।
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