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हिमाचल हाईकोर्ट ने खारिज की नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोपी की जमानत याचिका
Last Updated on September 8, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने नौकरी दिलाने की एवज में लाखों रुपए हड़पने (Cheating) के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका (Bail Plea) खारिज कर दी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष सरकाघाट जिला मंडी निवासी याचिकाकर्ता हरीश कुमार आनंद की अग्रिम जमानत पर कुछ समय बहस के पश्चात प्रार्थी ने अपनी याचिका वापिस ले ली। जिस कारण कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। याचिका खारिज होते ही प्रार्थी हरीश कुमार आनंद को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले के अनुसार सरकाघाट के प्रमुख कपड़ा व्यापारी हरीश कुमार आनंद द्वारा कथित तौर पर दर्जनों लोगों को जल शक्ति विभाग में नौकरी लगवाने का झांसा देकर लाखों बटोरने के आरोप है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार उसने जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर और उनके पूरे परिवार के साथ दोस्ताना संबंध बताकर उन्हें नौकरी दिलवाने की एवज में लाखों रुपए ऐंठ लिए।
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आरोप है कि प्रार्थी शिकायतकर्ताओं को झांसे में फसाने के लिए मंत्री के घर पर उनके जन्मदिन के दौरान अपनी उपस्थिति वाला वीडियो दिखाता था। आरोप यह भी है कि प्रार्थी ने अपने फोटो मंत्री व मंत्री के पूरे परिवार के साथ शिकातकर्ताओं को दिखाए। जिस वजह से झांसे में आकर दर्जनों लोगों ने उसे जल शक्ति विभाग में पैरा फिटर और पंप ऑपरेटर लगवाए जाने को लेकर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया था। आरोप है की हरीश कुमार आनंद ने प्रति नौकरी करीब चार से पांच लाख रुपए तक शिकायत कर्ताओं से वसूले थे। परंतु लंबे अरसे से नौकरी न लगने बाद जाहु के नीलकमल द्वारा सरकाघाट थाना में और अन्य शिकायतकर्ताओं ने अलग अलग थानों में आरोपी के खिलाफ नौकरी लगवाने के लिए लाखों रुपए लेने की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई थी।
उच्च शिक्षा को भेजे डॉक्टरों में 2 लौटे वापिस, चेक भी हो गए बाउंस
डॉक्टरों (Doctors) को उच्चतर शिक्षा के लिए भेजना राज्य सरकार (Himachal Govt) को भारी पड़ रहा है। हिमाचल हाईकोर्ट में फेलोशिप के लिए सरकारी एनओसी की मांग को लेकर दायर मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2016 के बाद से 151 उच्च शिक्षा को भेजे डॉक्टरों में से 2 ही वापिस आए। 149 डॉक्टर भगोड़े हो गए। अब उनके द्वारा भरे गए बॉन्ड ना भुनाए जा सके हैं ना ही उनका अता पता चल रहा है। 137 डॉक्टरों द्वारा पॉलिसी के अनुसार प्रदेश में कम से कम निर्धारित समय तक नौकरी करने की शर्त को पूरा करने की एवज में दिए चेक भी बाउंस हो गए हैं और उनके खिलाफ संबंधित अदालतों में मुकदमे दायर किए गए है।
आईजीएमसी (IGMC) शिमला से भेजे गए 47 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2016 -17 में वापिस आने चाहिए थे परंतु 1 डॉक्टर ही वापिस आकर पॉलिसी के तहत अपनी सेवाएं प्रदेश हो दे रहा है। डॉ आरपीजीएमसी टांडा (Tanda) से भेजे गए 22 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2016 -17 में वापिस आने चाहिए थे परंतु एक भी वापिस नहीं लौटा। इसी तरह आईजीएमसी शिमला से भेजे गए 56 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2017-18 में वापिस आने चाहिए थे परंतु 1 डॉक्टर ही वापिस आकर पॉलिसी के तहत अपनी सेवाएं प्रदेश को दे रहा है। डॉ आरपीजीएमसी टांडा से भेजे गए 26 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2016 -17 में वापिस आने चाहिए थे परंतु एक भी वापिस नहीं लौटा। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार द्वारा बताए इन तथ्यों के दृष्टिगत प्रार्थी डॉक्टर को 40 लाख रुपए की बैंक गारंटी देने की शर्त के बाद ही उच्च शिक्षा के लिए एनओसी देने के आदेश पारित किए।
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