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नरक चतुर्दशी पर दीपदान करने का क्या है महत्व, पढ़े यहां
Last Updated on November 3, 2021 by admin
नरक चतुर्दशी को हम छोटी दिवाली के नाम से जानते हैं। इस दिन दीये जलाने की मान्यता भी है। यही नहीं, लोग इस दिन अगले दिन होने वाली दिवाली यानी महालक्ष्मी पूजा के लिए खरीदारी भी करते हैं। इस दिन को कृष्ण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध करके 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को मुक्त करवाया था। इसलिए इस दिन लोगों ने खुशी में दीये जलाए थे जो आज भी जारी है और तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। नरक चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है। इस दिन यमराज के निमित्त दीपदान करने का विशेष महत्व है। । इस दिन सुबह हस्त नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग बन रहा है। इसके अलावा सर्वार्थसिद्धि नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन सुबह-सुबह रहेगा।
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त्रयोदशी तिथि सुबह 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होकर 4 नवंबर 2021 प्रात: 06 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। इसीलिए अभ्यंग स्नान समय 4 नवंबर सुबह 6 बजकर 6 मिनट से 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
पूजन विधि
इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान है। स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए। अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-
सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।
नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।
इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है।
नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है।
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