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कच्चे दूध से किया जाता है शिवलिंग का जलाभिषेक, यहां जानें महत्व
Last Updated on July 26, 2022 by sintu kumar
आजकल सावन का महीना चल रहा है। ये महीना भगवान शिव को काफी प्रिय है। सावन महीने में शिवलिंग पर दूध का दान कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करता है। सावन माह में शिवलिंग (Shivling) का कच्चे दूध से जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। आज हम आपको शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का महत्व बताएंगे।
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ज्योतिष शास्त्र में शिवलिंग की पूजा को लेकर कई नियम बताए गए हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर दूध से रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने विषपान कर लिया था। जिससे उनका पूरा कंठ नीला हो गया था और इसका प्रभाव भगवान शिव और जटा में बैठी गंगा में पड़ने लगा। ऐसे में सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया। इसके बाद दूध ग्रहण करते ही भगवान शिव के शरीर में विष का प्रभाव कम होने लगा। इसी के बाद से भगवान शिव को दूध अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।
इस मंत्र का करें जाप
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
जलाभिषेक की सही दिशा
बता दें कि शिवपुराण में जलाभिषेक के कई नियमों के बारे में बताया गया है। भगवान शिव की पूजा करते समय इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। कभी भी पूर्व दिशा और पश्चिम दिशा में खड़े होकर जलाभिषेक ना करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय स्वंय दक्षिण दिशा की ओर मुख कर लें।