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कर्नाटक हाईकोर्ट: ट्विटर कोई किसान नहीं, उसे नियम मालूम होने चाहिए
Last Updated on June 30, 2023 by Vishal Rana
बेंगलुरु। भारत में पिछले साल किसान आंदोलन (Farmers Protest) के दौरान कुछ लोगों के अकाउंट, ट्वीट और यूआरएल ब्लॉक (Account Blocking) करने के केंद्र सरकार के आदेश पर ट्विटर की आपत्तियों को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने खारिज करते हुए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि ट्विटर कोई किसान नहीं, एक मल्टी बिलियन डॉलर कंपनी है। उसे सरकार के नियमों की जानकारी होनी चाहिए।
फिर भी आदेश नहीं माना
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा- ट्विटर को नोटिस दिए गए थे, लेकिन ट्विटर ने उनका पालन नहीं किया। आदेश न मानने पर 7 साल की सजा और फाइन लगाया जा सकता है। यह जानते हुए भी आदेशों का पालन नहीं किया गया। आदेश मानने में हुई देरी के पीछे की वजह भी नहीं बताई गई। इसके बाद ट्विटर अचानक कोर्ट में आ गया।
यह है पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 से 2022 के बीच ट्विटर को किसान आंदोलन और कोरोना वायरस से जुड़े कुछ अकाउंट्स, ट्वीट और URL ब्लॉक करने का आदेश दिया था। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MoEIT) ने पिछले साल जून में ट्विटर (Twitter) को नोटिस भेजा था कि केंद्र सरकार के आदेश न मानने पर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ट्विटर ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। 26 जुलाई, 2022 को जस्टिस कृष्णा सिन्हा की सिंगल जज बेंच ने इस पर पहली बार सुनवाई की। इसके बाद केंद्र सरकार और ट्विटर दोनों ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। हाईकोर्ट ने इस साल 21 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 30 जून को फैसला सुनाया और 45 दिन के अंदर जुर्माना जमा करने के लिए कहा।
बिना वजह बताए अकाउंट ब्लॉक करवाया
ट्विटर ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार के पास सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए सामान्य आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था। सरकार को इसके लिए अकाउंट ब्लॉक करने की वजह बतानी थी, जिससे कंपनी यूजर को बता सके कि उसका अकाउंट किस वजह से ब्लॉक किया गया है। सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ट्विटर को ब्लॉक करने के आदेश दिए गए थे, जिससे लिंचिंग और मॉब वॉयलेंस की घटनाओं को रोका जा सके।
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