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कार्यक्रम से दूर रखे जा रहे कपूर, कौन बनना चाह रहा नगर निगम के महाभारत का ‘किशन’, पढ़ें
धर्मशाला। नगर निगम चुनाव (Municipal Corporation Election) को लेकर बीजेपी अपनी गोटियां फिट करने में जुटी हुई है। जयराम सरकार के मंत्री खुद किलेबंदी करने के लिए तैनात किए गए हैं, लेकिन इस किलेबंदी में पार्टी अपने ही पुराने किले ढहाने में जुटी हुई है। दरअसल खबर ऐसी निकल कर आई, जिससे यह साफ हो गया कि पुराने पुरोधाओं की पूछ अब ज्यादा हो नहीं रही। कहने के लिए तो नगर निगम धर्मशाला में चुनाव (Municipal Corporation Dharamshala Election) के लिए किशन कपूर (Kishan Kapoor) सहप्रभारी बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें ही कार्यक्रमों और बैठकों की सूचना नहीं दी जा रही। इस बात का ‘कपूर’ खुद किशन ने सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) के सामने जलाया, जिसकी सियासी सुगंध अब विरोधी खेमों तक भी जा पहुंची है।
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अब सवाल यह उठता है कि हमेशा ही एकला चलो का नारा बुलंद करने वाले किशन कपूर का पुराने कार्यों का बही खाता सेट करने में बीजेपी (BJP) के ही कुछ नेता लगे हैं या फिर पुराने नेता और धूमल गुट की ओर झुकाव के चलते उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल के लिए सेट किया जा रहा है। पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रहने और करने की किशन कपूर की हिस्ट्री भी थोड़ी लंबी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। तो पूरा माजरा शुरुआत से शुरू करते हैं।
कभी शांता के बेहद करीबी माने जाने वाल किशन कपूर। धूमल सरकार में भी पहले बागी कहलाए जाते थे, लेकिन फिर बाद में परिस्थितियां बदली और वो धूमल के करीब जाने लगे। 2017 के विधानसभा चुनावों में पहले तो किशन कपूर को बीजेपी ने टिकट ही नहीं दिया। इसके बाद किशन कपूर के आंसुओं ने वो कर दिखाया जो उनकी पुरानी छवि ना कर सकी। पार्टी ने ने अपना विचार बदला को किशन कपूर को टिकट दिया। किशन कूपर तो चुनाव जीत गए, लेकिन बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। इसके साथ ही सत्ता में धूमल गुट भी हाशिए में चला गया।
हालांकि जैसे तैसे सरकार में किशन कपूर को मंत्री बना दिया गया, लेकिन उन्हें पसंदीदा महकमा नहीं मिला। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव आ गए। बीजेपी ने पूरे मन से और किशन कपूर ने अधूरे मन से कांगड़ा-चंबा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट लिया। किशन कपूर रिकॉर्ड साढ़े चार लाख से ज्यादा मतों से विजयी हुए। इसके बाद उनकी धर्मशाला विधानसभा की सीट खाली हुई तो किशन कपूर अपनी सीट के लिए पुत्र मोह में पड़ गए। उन्होंने अपने पुत्र के लिए विधानसभा का चित्र उकेरना चाहा, लेकिन पार्टी ने कैनवास पर विशाल नैहरिया की तस्वीर बना दी।
नाराज किशन कपूर गांधी यात्रा का बहाना लिए उपचुनाव के प्रचार से ही बाहर हो गए। विशाल नैहरिया धूमधाम से चुनाव जीते। इसके बाद बीजेपी मंडल के गठन में भी संगठन ने कपूर जलाने वाले समर्थकों को बाहर कर दिया। गांधी यात्रा का बहाना लेकर उपचुनाव और जयराम सरकार की महत्वकांक्षी इन्वेस्टर मीट से आउट होने वाले किशन कपूर एक बार खुद अनुराग ठाकुर की अगवानी के लिए गग्लल एयरोपोर्ट पहुंचे। इस दौरान कार्यक्रम में उन्होंने अनुराग ठाकुर और उनके पिता धूमल की प्रोफेसरी की जमकर तारीफ भी की।
इसके अलावा एक बार फिर किशन के बागी होने के नाम कपूर पार्टी के विधायकों ने जोर-शोर से जलाया। मौका था किशन कपूर, धूमल गुट सहित सरकार से नाराज चल रहे नेताओं द्वारा पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में की गई मीटिंग से सरकार के अनरेस्ट करने का। इसकी शिकायत तत्कालीन विधायक राकेश पठानिया सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने दिल्ली तक की। अब ताजा घटनाक्रम पर लौटते हैं। किशन कपूर ने सीएम जयराम ठाकुर से शिकायत की है कि उन्हें कार्यक्रमों की सूचना तक नहीं दी जा रही है। मैं इस बैठक में मंत्री राकेश पठानिया के कहने पर आया हूं। मतलब साफ है कि नगर निगम में के महाभारत का ‘किशन’ कोई और बनना चाहता है। इसके साथ ही किशन कपूर का पुराने कार्यों का बही खाता सेट करने में बीजेपी के ही कुछ नेता लगे हैं और पुराने नेता और धूमल गुट की ओर झुकाव के चलते उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल के लिए सेट किया जा रहा है।