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Nirbhaya: दोषियों के वकील बोले- वे आतंकवादी नहीं, हमें नींबू से भी ज्यादा निचोड़ा गया
एपी सिंह ने कहा कि ये चौथा डेथ वारंट जारी हुआ है। 2013 के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, रिव्यू पेटिशन के बाद दोषियों को फांसी का ऐलान किया गया।
साढ़े बारह घंटे पहले टली Nirbhaya के दोषियों की ‘मौत’, फिर रद्द हुआ डेथ वारंट
अब देखना ये होगा कि पटियाला हाउस कोर्ट पर पवन की दया याचिका खारिज हो जाने के बाद उसे 14 दिन का समय देता है या नहीं।
Nirbhaya Case: कोर्ट ने नहीं रद्द किया दोषियों का डेथ वॉरंट, कल है फांसी पर लटकाने की तारीख
पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी अक्षय और पवन की तरफ से लगाई गई याचिका को खारिज करते हुए दोषियों का डेथ वॉरंट को रद्द करने से इनकार कर दिया है।
Nirbhaya Case: दोषी पवन ने दाखिल की क्यूरेटिव पिटीशन, फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग
अब बताया जा रहा है कि पवन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस क्यूरेटिव याचिका से दोषियों की सांसों की मियाद थोड़ी और बढ़ सकती है।
फांसी टालने की नई चाल : Nirbhaya के दोषी विनय ने दीवार पर सिर मारकर खुद को किया घायल
वकील एपी सिंह का कहना है कि नया डेथ वारंट (New death warrant) जारी होने के बाद से विनय की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उसने अपनी मां को भी पहचानने से मना कर दिया।
Nirbhya: SC में वकील की दलील- ‘ठीक नहीं दोषी विनय की मानसिक स्थिति’, माफ हो सजा
दोषी विनय मानसिक रूप से प्रताड़ित होने की वजह से विनय मेंटल ट्राला से गुजर रहा है, इसलिए उसको फांसी नहीं दी जा सकती है।
Nirbhya Case: दोषियों के खिलाफ नया Death warrant जारी करने से कोर्ट का इनकार
इससे पहले दोषियों के खिलाफ पहले भी दो बार डेथ वारंट (Death warrent) जारी हो चुका है लेकिन दोषी नए-नए हथकंडे अपनाकर फांसी की सजा को टालने की कोशिश कर रहे हैं
Nirbhaya case: दोषी अक्षय ने दाखिल की क्यूरेटिव पिटीशन, कल सुनवाई करेगा SC
मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। अक्षय तीसरा दोषी है जिसने इस विकल्प का इस्तेमाल करने के लिए अर्जी लगाई है।
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजी Nirbhaya के दोषी की दया याचिका, खारिज करने की सिफारिश
दोषी मुकेश ने पटियाला हाउस कोर्ट से जारी डेथ वारंट (Death warrant) के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। उसने कहा था कि उसकी दया याचिका लंबित है।
इस लिए दर्ज करवाई जाती है जीरो एफआईआर, अधिकार क्षेत्र का भी नहीं रहता है लफड़ा
घटना होने पर पहले पुलिस स्टेशन मेें रिपोर्ट लिखवानी होती है। इसे एफआईआर कहा जाता है। यह एक लिखित दस्तावेज होता है और इसी के आधार पर पुलिस एक्शन लेती है।